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सांसद से मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ नहीं बचा पा रहे गोरखपुर सीट

उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट का नाम सुनते ही एक नाम विभाग में आता है वह है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हां.1998 से अब तक गोरखपुर की संसदीय सीट पर मठ और भाजपा का ही कब्जा रहा है मगर इस बार कुछ उल्टा होता नजर आ रहा है अगर बात करें गोरखपुर सीट की तो इस बार गोरखपुर सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा नजर आ रहा है.

गोरखपुर सीट उपचुनाव का 19 बार राउंड खत्म हो चुका है मतलब 19वें राउंड की काउंटिंग खत्म हो जाने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रवीण कुमार 2,93,153 वोट पाकर 28,737 वोटों से आगे चल रहे हैं तो वहीं उपेंद्र दत्त शुक्ला को अभी 2,64,416 वोट ही मिले हैं.

20 साल बाद ऐसा नजर आ रहा है जब गोरखपुर सीट BJP के हाथों से निकलती नजर आ रही है 26 साल की उम्र में पहली बार 12 लोकसभा के चुनाव में चुनकर संसद में आए आदित्यनाथ का करिश्मा फिर कभी खत्म नहीं हुआ था अगर बात करें 1998 1999 2004 2005 और 2014 के लोकसभा चुनावों की तो बीजेपी ने यहां से बहुत बड़े अंतर से जीत हासिल की और लोकसभा पहुंचे. बीते वर्ष मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था.

माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ का यहां और भी ज्यादा रुतवा नज़र आएगा मगर इसका उलट यहां देखने को मिल रहा है समाजवादी पार्टी को बढ़त मिलती नजर आ रही है हालांकि केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि गोरखपुर और फूलपुर सीट पर बीजेपी ही अपना परचम लहराएगी भले ही जीत का अंतर ज्यादा बढ़ाने हो मगर आंकड़ों को देखते हुए तो यह बिल्कुल भी नहीं लग रहा है

सपा और बसपा के गठबंधन के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में कई रैलियां की और जमकर विपक्ष पर निशाना साधा इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर के कई दौरे किए मगर उनमें से एक भी कामयाब होता नजर नहीं आ रहा है. इस पर केशव प्रसाद मौर्य द्वारा किए जाने वाले दावे कितने हद तक सही होते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

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