फिर भी

गोवा बना दूसरा भोपाल

गोवा राज्य भारत के पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान रखता है। लेकिन 19 जनवरी 2018 के सुबह 2.45 यह शहर दूसरा भोपाल बना हुआ नज़र आया। दरअसल गोवा के वास्कोसिटी के पास पणजी-वास्को सिटी हाइवे पर अमोनिया गैस से भरा टैंकर अचानक उलट गया। इसके कारण सारे इलाके में अमोनिया गैस का फैलाव हो गया । इस हाइवे के पास चिकलिम गाँव जहां लगभग 300 घर हैं, वहाँ लोगों को अचानक सांस लेने में दिक्कत होनी शुरू हो गई।

दरअसल यह टैंकर वास्को शहर में स्थित मार्मगाओ पोर्ट ट्रस्ट से शहर में स्थित जुआरी ओध्योगिक लिमिटिड तक अमोनिया गैस को लेकर जा रहा था। लेकिन अचानक ही मार्ग में यह टैंकर पलट गया और उसमें से अमोनिया गैस का रिसाव शुरू हो गया।

दुर्घटना की सूचना मिलते ही वहाँ के डिप्टी कलेक्टर महादेव अरोंदेकर ने स्थिति की कमान तुरंत अपने हाथ में ले ली। डिजाइस्टर रेस्पोंस टीम के अतिरिक्त तुरंत ही स्थानीय पुलिस और फायर ब्रिगेड को भी सूचना दे दी गई। पुलिस ने तत्काल कार्यवाही करते हुए घरों को खाली करवाने का निर्णय लिया और लोगों से सुरक्शित स्थान पर चले जाने का निर्देश दिया। पुलिस निरीक्षक नोलस्को रपोसो ने तुरंत जुआरी ओध्योगिक लिमिटिड के सुरक्षा अधिकारी से संपर्क किया।

दुर्घटना के परिणामस्वरूप लोगों की हालत बिगड़ने लगी और नवीनतम सूचनाओं के आधार पर दो महिलाओं की हालत गंभीर बताई जाती है। बताया जाता है की इन महिलाओं को दुर्घटना का पता नहीं लग सका और नींद में होने के कारण वो घर से बाहर नहीं निकाल सकीं। इन महिलाओं का घर दुर्घटना स्थल के बिलकुल नजदीक होने के कारण इनकी हालत एकदम से काफी खराब हो गई।

फायर ब्रिगेड ने हालत पर काबू पाने के लिए तत्काल हाइवे को बंद कर दिया और उस मार्ग पर आने वाला सारा ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया गया। इस हाइवे से कुछ ही दूर पर दाबोलिम एयरपोर्ट भी स्थित है, इसलिए लोगों को आवागमन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। स्थ्ति को पूरी तरह से नियंत्रण में करने के लिए नौ सेना की भी मदद ली गई। सबके मिले जुले प्रयासों के कारण सुबह लगभग 5.30 तक स्थ्ति पर काबू पा लिया गया। घटना के इतने समय बाद भी हाइवे के ट्रेफिक को खोल तो दिया गया है लेकिन प्रशासन की ओर से लोगों को मुंह ढक कर उस इलाके से गुजरने की सलाह दी जा रही है।

कुछ वर्ष पूर्व 2 दिसंबर 1984 की रात भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से भी इसी प्रकार अमोनिया गैस का रिसाव होने के कारण लगभग पूरा भोपाल प्रभावित हो गया था। इस दुर्घटना का दंश आज भी अनेकों परिवार झेल रहे हैं। इस गैस के कारण कुछ लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई थी तो कुछ लोगों की नेत्र ज्योति समाप्त हो गई थी। असंख्य लोगों को शारीरिक कष्ट के साथ जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी वहाँ के बाशिंदों की आँखों में वो मंजर आज तक कायम है।

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