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दहिहांडा परिसर में कपास चुनने के लिए नहीं मिल रहे मजदुर

दहिहांडा परिसर में अल्प बारिश के कारण किसानों के हाथ से मुंग, उडद फसल हाथ से गई. फिर सोयाबिन का वापसी की बारीश ने नुकसान किया. कपास का बेहतर उत्पादन लेने की किसानों की उम्मीद थी.

अनेक स्थलो पर कपास फसल पर फल इल्लियो का प्रकोप होने से किसानो का नुकसान हुआ है. मात्र गिनचुने स्थलो पर कपास फसल अच्छी हुई. मात्र उसे चुनने के लिए किसानो को मजदुर नही मिल रहे है. अकोल की स्थिती पर मात करते हुए किसानों ने कपास की फसल ली. अब दहिहांडा खेत खलियानो में सफेद सोना उगा है.

मात्र उसे चुनने के लिये मजदुर नही मिल रहे है. किसानो नें मजदुरो को दोगुना मजदुरी देने की बात करने पर भी मजुर नही मिल रहे है. जिससे दहिहांडा परिसर के किसान परेशान हुए है. बाहर गाव के मजदुरो की खोजबिन शुरु है.

दहिहांडा परिसर में में शुरुआत की बारीश के भरोसे किसानो ने समय पर बुआई की. दहिहांडा परिसर के किसानो ने बडे पैमाने पर कपास की बुआई की एैसे स्थिती में फल को बेहतर कपास हुआ है. कपास चुनने के लिए किसान प्रयास कर रहे है. परंतु अधिकांश स्थलो पर मजदुर नही मिलरहे है.

मजदुरों को छह से सात रुपये प्रति किलो दाम दिया जा रहा है फिर भी मजदुर नहीं मिलने से अनेक किसानों ने अपने परिवार को लेकर खेत में कपास चुनने को शुरुआत की हैं. परंतु जिन किसानो के पास ज्यादा खेत है उन किसानो को यह भी संभव नही हैं.

अनेक किसानो मजुरी बढाकर देने का प्रयास भी किया परंतु मदुर कबेते है कि हम दुसरे के खेत में कपास चुनने के लिये चालु है वर्तमान स्थिती में दहिहांडा परिसर में कपास के सफेद बोंडे दिखाई दे रहे हैं. परंतु कपास कैसे चुना जाये एैसा प्रश्न किसानो को सताये जा रहा है.

[स्रोत- शब्बीर खान]

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