अगर मैं हिन्द की सेना का जनरल होता तो,
मेजर गोगोई को कहता कि तुमको आदेश है मेरा,
अब अगर कोई दुश्मन तुमको कश्मीर में डाले घेरा,
जाओ कश्मीर के पत्थरबाज़ों की कमर तोड़ दो,
अब अगर एक भी पत्थर आए तो तुम फायर खोल दो,
पत्थरबाज़ों का बोरिया बिस्तरा कर गोल दो,
जो गद्दारी की बात करें उनको मिट्टी में रौल (मिला) दो,
तुम्हारे हाथ खुले पुरी तरह से दुश्मन को गोलियों से तोल दो,
मातृभूमि की रक्षा की खातिर अगर हो कोई अड़चन,
तो बस ईक बार आकर मुझसे बोल दो,
मातृभूमि के गद्दारों को बारूद वाले पानी में नमक के जैसे घोल दो,
बस बहुत हुआ पाठ शांति का, बहुत हुई शांति वार्ता,
अब कोई और शहादत मैं नहीं मांगता,
मुझे तो बस मेरे शहीद हुये सैनिको की शहादत का मोल दो.
हितेश वर्मा, जयहिन्द