फिर भी

जबरदस्ती कर, किसी का अपमान न करो

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को समझा रही है कि कभी किसी से कोई भी काम ज़बरदस्ती मत करवाना क्योंकि ज़बरदस्ती करवाया हुआ काम किसी एक को ही खुश करता है.ऐसा कर इंसान को कुछ पल की ख़ुशी तो मिल जाती है लेकिन लम्बे समय तक इंसान के दिल में बातें घर कर जाती है। कवियत्री कहती है अच्छाई का चोला पहन कर कभी गलत काम मत करो आप जैसे भी हो दुनियाँ को वैसे ही दिखाओ।

उदाहरण के तौर पर अगर आपको गुस्सा आता है तो इस बात को स्वीकार करो की आपको गुस्सा आता है फिर उन चीज़ो से दूर रहने की कोशिश करो जो आपको गुस्सा दिलाती है। कभी-कभी दूरी अगर शांति लेकर आये तो वो दूरी भी बहुत अच्छी होती है। याद रखना एक चुप सौ को हराता है जिसने जैसा करा वो उसके सामने आयेगा ही आयेगा किसी को कुछ गलत कहकर तुम अपना कर्मा ख़राब मत करो अगर गलती से कुछ गलत कह भी दिया तो अपनी गलती मानने में कोई छोटा बड़ा नहीं होता और फिर भी कोई माफ़ न करे तो अपना स्वाभिमान न खोना क्योंकि कुछ चीज़े वक़्त पर भी छोड़ देनी चाहिये।याद रखना गलत का साथ देना भी गलत ही होता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

ज़बरदस्ती किसी से कुछ काम करवा के,
उसे घुटन की अग्नि में न जलाना।
उम्मीद जगाकर किसी की,
उसे फिर बाद में न रुलाना।
प्रेम का धागा बहुत ही नाज़ुक होता है।

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अपनी ही करनी के, पछतावे की आग में,
इंसान अक्सर रोता है।
अपनों का दिल दुखा कर,
इंसान, अक्सर अपनों को खोता है।
किसी अपने के गलत व्यवहार को पहचान,
इंसान खुद की सुध-बुद्ध खोता है।

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बीते पल के हसीन लम्हो को कर याद,
इंसान अक्सर ये सोच कर रोता है।
अच्छा बनकर क्यों लोग अपना प्यार दिखाते है।
खुदकी असलियत जान कर भी,
लोग अपना सही रूप क्यों नहीं दिखाते है?
सच की ज्वाला की आग में, अच्छे-अच्छे बंधन भी टूट जाते है।

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वक़्त पर अपने भावो पर, लगाम लगाना ज़रूरी है।
मेरी इस बात पर, सच्चाई की भी मंज़ूरी है।
अब वक़्त आगया है, जब गलत बात पर,
आवाज़ उठानी भी ज़रूरी है।

धन्यवाद

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