फिर भी

हरदोई जिले में तालाबो की जमीन पर पहले कूड़ा डालो फिर भवन निर्माण करो

हरदोई – सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी भूमि कब्जाने वालों के खिलाफ एण्टी भूमाफिया अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इसके विपरीत शहरी कब्जेदारों को छुट्टा छोड़ दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में तालाब की जमीन पर कूड़ा डाल कर कब्जा किया जा रहा है।

इसलिए नगर पालिका, पंचायतों की जमीन कब्जाने का सिलसिला जोरों पर है। तालाब की जमीनों को कब्जा करने के लिए कूड़ा डालकर पाटा जा रहा है। नगर पालिका परिषद हरदोई, पिहानी, सण्डीला समेत अन्य नगर पालिका क्षेत्रों में अफसरों की नाक के नीचे ही तालाबों की जमीन भू-माफिया कब्जा करने में जुटे हुए है ।

एकड़ो के अनुसार एक सैकड़ा से ज्यादा तालाबों का क्षेत्रफल तेजी से घट रहा है। बीते पांच सालों की ही बात करें तो सैकड़ों तालाबों का आकार आधे से भी कम रह गया है। हरदोई शहर में लखनऊ रोड, साण्डी रोड, सर्कुलर रोड समेत अन्य मोहल्लों के साथ तहसील व नगर पालिका के अफसरों कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर तमाम लोगो ने तालाबों पर कब्जा कर कच्चे, पक्के निर्माण कर लिए हैं। कुछ होटल के लान व पार्किंग स्थल तालाब की जमीन पर ही बने है।

जिले में श्रावस्ती माडल के तहत एंटी भूमाफिया अभियान चलने पर जिले के लोगो में खुशी की लहर दौड़ी थी नगर के लोगो ने सोचा था कि अब तालाबों की जमीन भी खाली हो जाएगी, पर ऐसा नहीं हो सका। बीते दिनों नगर पालिका बोर्ड की बैठक में तालाबों के सौंदर्यीकरण व खुदाई कराने का प्रस्ताव भी पास हो गया है।

लेकिन राजस्व विभाग व पुलिस प्रशासन के स्तर से कोई भी सहयोग नही मिलने के कारण कब्जा मुक्त कराने की प्रक्रिया कागजी फाइलों में बंद होकर कही न कही हवा हवाई साबित होता जा रहा है। चर्चा है कि कई सफेदपोश नेताओ व नगर के असरदार लोगों ने भी नगर पालिका व पंचायतों की जमीन कब्जा कर ड्कार ली है।

वहीं इस प्रकरण में राजस्व अधिकारी एवं लेखपालों व निकाय कर्मियों की भी साठगांठ है। इसीलिए तालाबों की पैमाइश होने व उनके वास्तविक आकार में लाने के शासन के निर्देश बेअसर साबित हो रहे हैं।

[स्रोत- लवकुश सिंह]

Exit mobile version