फिर भी

पहले खुद की गलती सुधारों

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि दूसरों को कुछ भी समझाने से पहले खुदको समझाओ कभी भी किसी के साथ किसी भी तरह की ज़बरदस्ती मत करो क्योंकि ज़बरदस्ती काम करवा कर हम दूसरे को अपने से दूर कर देते है। कवियत्री सोचती है पहले खुदको इतना काबिल बनाओ की लोग तुमसे सीखे तुमसे तुम्हारी सफलता का राज़ पूछे बिन मांगे किसी के भी साथ कुछ देने या पाने की ज़बरदस्ती मत करो।Speak with someoneबस खुदको संवारने में इतने मगन हो जाओ की ये सोचने का भी वक़्त न मिले की दूसरा क्या सोचेगा बस खुदको ठीक रखो। एक दिन तुम्हारे जीवन में फिर ऐसा भी आयेगा की तुम्हे इतनी खुशियाँ मिलेंगी की तुम आज के सारे दुख दर्द भूल जाओगे। याद रखना दोस्तों तारीफ वो होती है जो दूसरे हमसे प्रेरित होकर करते है इसलिए पहले खुदको इतना काबिल बनाओ की लोग तुमसे सीखे।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसी को बिना परखे ही,
तुमने उसके बारे में गलत कैसे सोच लिया?
किसी ने तुम पर जान लुटाई,
तो किसी ने तुम्हारे लिए कुछ नहीं किया।
क्या बस यही एक वजह है, किसी से नफ़रत करने की?
मर्ज़ी है ये सबकी अपनी , तुमसे प्यार करने की।
अपने को प्यार कर बस खुदको सुधारो,
अपने अच्छे कर्मो से, पहले तुम अपनी ज़िन्दगी सवारों।
तेरे बदलते रूप को देख, ये दुनियाँ तेरे पीछे आयेगी।
तेरी कथा को याद कर,
आने वाले युग की पीढ़ी भी, तेरे गुणगान गायेगी ।
तेरी सफलता को देख,
एक दिन दुनियाँ को भी ये बात समझमे आयेगी।
हम सबकी आज की मेहनत आने वाले कल में रंग दिखलायेगी।
बीते दिन की पीड़ा, हर मेहनती आत्मा भूल जायेगी।
बस आने वाले कल में वो आज की मेहनत का लुफ्त उठायेगी।

धन्यवाद।

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