फिर भी

पुराने संगीतो में ज्ञान को ढूंढो

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ज़िन्दगी की गहराई को पुराने मधुर गीत सुन कर भी समझा जा सकता है। वह सोचती है पुराने गीतों में जो रस था वो आज कही खो गया है। पहले बहुत सी गहरी और प्रैक्टिकल बातें संगीत के ज़रिये ही लोगो को समझ में आ जाती थी और इंसान आधा ज्ञानी तो उन गीतों को सुन कर ही बन जाता है। Happyकवियत्री सोचती है ऐसा ज़रूरी नहीं कि हर किसी को संगीत में छुपा ज्ञान समझ में आये लेकिन जो इस क्षेत्र में रूचि रखते है वह पुराने गाने सुन कर अंदर से बहुत हल्का महसूस करेंगे और उनकी आँख से ख़ुशी के आँसू रुक नहीं पायेंगे। याद रखना दोस्तों ज़िन्दगी एक मधुर गीत की तरह होती है इसमें कठिनाइयों के वक़्त ऊँचे स्वर तो कभी नीचे स्वर की पकड़ से ही गीत(ज़िन्दगी) मधुर लगता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

ज़िन्दगी एक गीत है,
जिसे हर दिन गुनगुनाना होता है।
कोई स्वर ऊँचा, तो कोई स्वर नीचा होता है।
कोई गीत हसाता तो कोई गीत रुलाता है।
हमारे अंदर ज्ञान का भाव,
कई बार गहरा गीत ही जगाता है।
ज़िन्दगी के संगीत की गहराई,
हर कोई सुन नहीं पाता।
अपनी अज्ञानता के कारण ही,
इंसान अपने संग अपनों को भी है रुलाता।
पुराने मधुर संगीत के शब्दों में गहराई तो होती है।
शायद इसलिए, पवित्र आत्मा उन शब्दों को सुन,
उन शब्दों की गहराई को समझ कर रोती है।

खुदको थामे, उन पुराने गीतों की,
गहराई को समझ, जो उनमे डूब जाता है।
संगीत में छुपे ज्ञान को समझ,
आधा ज्ञानी तो वो भी बन जाता है।
अपनों के खातिर अपनों को,
वो अक्सर सही बात ही समझाता है।
न समझे उसे कोई, फिर भी,
वो अपनों पर जान ही लुटाता है।
अपनी और अपनों की गलतियाँ समझ,
वो अक्सर कही अकेले में अश्क बहाता है।
अपने दुखो का एहसास,
वो कभी किसी को नहीं कराता है।

धन्यवाद।

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