फिर भी

परिस्थितियों से लड़ना सीखो।

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को परिस्थिति से लड़ना सिखा रही है। वह कहती है कि कभी अपनों के सपने पूरे करने में कभी अपनों को ही नुकसान मत पहुँचाना।ख्वाहिशे उतनी ही रखना जितनी अपने दम पर पूरी कर सको। लालच में आकर अपनों के पैसो को कभी खुदपर मत उड़ाना और कभी किसी का पैसा न रखना। किसी की उम्मीद जगाकर उसे बीच रास्ते में कही छोड़ न देना। किसी के लिए कुछ अच्छा न भी कर पाओ तो कभी उसका बुरा मत करना, क्योंकि तुम्हारा आज कल फिर तुम्हारे सामने आयेगा। जीवन में ऐसे बहुत से मोड़ आयेंगे जहाँ चुप रहकर काम नहीं चलेगा हमे अपनी बात भी रखनी होगी। बात अगर शांति से रखी जाये तो बड़ी-बड़ी लड़ाई भी शांति से सुलझ सकती है। कभी किसी का एहसान न भूलना चाहे किसी ने कुछ छोटासा ही काम क्यों न करा हो तुम्हारे लिए उसका शुक्रिया अदा करना कभी न भूलना। अगर आपकी गलती नहीं है तो कभी मत डरना क्योंकि सच कभी नहीं छुपता।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसी के सपनो को दबाकर,
अपना सपना न सजाना।
अपनों के खातिर अपनों को,
तुम कभी न रुलाना।
ख्वाहिशें उतनी रखना,
जितनी अपने दम पर पूरी कर पाओ।
खाली बैठा कर खुदको,
तुम कभी दूसरे के हिस्से का न खाओ।

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किसी के उम्मीद के दिये को जलाकर,
उसे बीच में कही बुझा न देना।
सबकी मेहनत की तनख्वा का हिसाब,
तुम वक़्त पर उसे देना।
लालच में आकर,किसी का पैसा न हड़पना,
अपनी गलती के खातिर, फिर आगे न तड़पना।

किसी के कहने का इंतज़ार,
तुम हमेशा न करना।
रख कर अपनी भी बात,
अपने दुखो को शांति से हरना।
कहकर बहुत बार सुकून भी मिलता है।
काँटो के पेड़ में, फूल भी खिलता है।

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किसी के दम पर जीत हासिल कर,
उसे भूल न जाना।
हारो या जीतो, हर हाल में छोड़ता नहीं ये ज़माना।
अपनी तरफ से शुक्रिया तुम हर एक का करना।
सही दिशा की राह में, तुम किसी से न डरना।

धन्यवाद

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