प्रस्तुत पंक्तियों में कवयत्री समाज को अपना साथ न छोड़ने की प्रेरणा दे रही है वह चाहती है हर इंसान अपना दोस्त बन कर अपनी कदर करे क्योंकि ईश्वर हर एक जीव के अंदर बस्ते है, जो इंसान खुद से प्यार नहीं करता वो ईश्वर से प्यार कर ही नहीं सकता।
जब हम अकेले पीड़ा में होते है तो कौन हमारा हाथ थामता है वो कोई और नहीं सिर्फ हम ही है जो अपने आप को समझते है। अपनी कदर करके दूसरों को भी सही राह दिखाओ क्योंकि दुख-सुख तो सब के जीवन में है। सफलता सिर्फ उन्ही को मिलती है जो सही रास्ते पर चल कर दूसरों को भी सही राह दिखाते है।
अब आप इस कविता का आनंद ले
हर इंसान अकेला ही तो रहता है,
अपना हाले दिल तो सिर्फ, अपने से ही तों कहता है।
दुख होता है, जब वो अपनी ही कदर नही करता,
दूसरों से कर उम्मीद, वो पल-पल मरता।
हर इंसान अकेला ही तो होता है,
अपने सुख-दुख का एहसास,
सिर्फ उसे ही तो होता है।
सुनते है सब,सहता तो वो ही है।
अपने हक़ में खुदा से कहता तो वो ही है।
हर एक की पीड़ा,
हर एक ही जानता है।
अपने अंदर ही बसे है ईश्वर,
ये बात हर कोई नहीं मानता हैं।
हर इंसान अकेला ही तो होता है
अपने को थामे वो हर एक सांस लेता है।
हर एक की ज़िन्दगी,
उसकी सासों से ही तो चलती है।
हर क्षण के बीतने पर,
हर एक की, उमर भी तो ढलती है।
कैसे अपने को भूल,
कोई दूसरे पर मरता है।
जाना है सबको अकेले,
क्या कोई किसी के साथ चलता है ???
हर इंसान अकेला ही तो होता है
अपने को थामे,
अपने संग ही तो रोता है।
उसकी ख्वाहिशों का पता,
सिर्फ उसके मन को ही तो होता है।
अपने मन की न सुन,
वो अपनी सुद्ध -बुद्ध खोता है।
अपने आप को अपना ,
जिसने सच्चा मित्र न माना।
पाता नहीं आसानी से,
वो सफलता का दाना।
हर इंसान अकेला ही तो होता है
हर इंसान अकेला ही तो होता है
विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.
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