फिर भी

बस दुखो में अपना हौसला मत खोना

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हर एक के जीवन में ऐसा वक़्त ज़रूर आता है जब इंसान हिल जाता है अपने जीवन से सारी उम्मीद वो छोड़ देता है उसके गम उसे इतना घेर लेते है कि उसकी जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है।Sadकवियत्री सोचती है अगर किसी इंसान ने ऐसा अनुभव करा है तो उसे कभी भी घबराने की ज़रूरत नहीं क्योंकि ईश्वर कहते है जो जितना दुख झेलता है उसे उतनी ही सुख की प्राप्ति भी होती है जिसके रहते हर इंसान अपना पिछला दुख भूल जाता है। इस कविता की रचना कवियत्री ने उन लोगो के लिए की है जिन्होंने अपने जीवन में अपने सीधे पन की वजह से बहुत कुछ सहा। याद रखना दोस्तों सोना अग्नि में तप के ही और निखरता है इसलिए अच्छे वक़्त की अहमियत समझने के लिए बुरे वक़्त से गुज़रना बहुत ज़रूरी है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

न जाने जीवन के किस मोड़ पर,
खुशियाँ मेरे आंगन में दस्तक दे जाये।
मुझे पहले सताकर वो हमेशा के लिए मेरी हो जाये।
आज उस आने वाली ख़ुशी की उम्मीद है,
कल वो सही रूप लेकर मेरे जीवन में आयेगी।
मुझे अपना बना कर, वो मेरी ज़िन्दगी महकाएगी।
उस वक़्त भी ये कवियत्री जीवन से जुड़ी,
हर छोटी सी छोटी समस्या पर बस लिखती ही जायेगी।
जिसे हर एक नज़र पढ़ नहीं पायेगी।
इन कविताओं में छुपे सही ज्ञान की झलक,
केवल सच्चे और सीधे इंसान को ही समझ में आयेगी।
सोचना बस वैसे ही जैसा लिखा है।
अपनी ही बुनी गलत सोच के आगे,
आज तक किसी को भी सही रास्ता नहीं दिखा है।
शांति का रास्ता जितना सरल दिखता है, उतना होता नहीं।
बिना किसी वजह से, यू ही तो कोई इंसान रोता नहीं।
लगती है दर्दो के आग सीने में,
तब जाके दर्द, आँसुओ में जलकर कहता है।
दुखो का भंडार तो अक्सर सबके जीवन में रहता है।
आँसुओ के छलकते समुन्दर में अक्सर वो चुपकेसे बहता है।
बहुत तड़प कर फिर उस दर्द को भी अपनी मंज़िल मिल जाती है।
अपार खुशियाँ पाकर, वो दर्द भरी अखियाँ भी अपना बीता कल भूल जाती है।

धन्यवाद।

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