प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसी भी चीज़ की लत बहुत बुरी होती है। बहुत से लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद भी इतनी शराब पीते है कि न तो वो खुद के बारे में सोचते है और न ही वो अपने परिवार के बारे में सोचते है। दोस्तों गलती हर इंसान से होती है लेकिन गलती गुनाह बन जाती है अगर वो सही समय पर सुधारी न जाये और गलती सुधारी भी जा सकती है क्योंकि जब आँख खुलती है तब सवेरा हो जाता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
न पियो इतना कि तुम्हारा घर ही बिखर जाये,
तुम्हारी यादो के संग लोग तुम्हे भी भूल जाये।
शान्ति का घरोंदा, अपनों के साथ ही बनता है।
गलत आदतों की लत से,
वो बनते-बनते बिखरता है।
जीवन का ये गहरा सच भले ही,
कुछ लोगो को कड़वा लगता है।
अपने को कर माफ़, इंसान सही वक़्त पर.
सही दिशा में भी तो, आगे बढ़ सकता है।
तुम्हारी गलत आदत दु:ख सिर्फ तुम्हे ही देगी,
तुम्हे डूबता देख, वो तुम्हारे अपनों का सुख चैन भी ले लेगी।
दूसरों से न उम्मीद कर,
तुम कम से कम अपना हाथ तो थामो।
दूसरों को दल-दल में देख गिरते,
कम से कम तुम तो अपना हाथ कीचड़ में ना सानो।
हम सब के जीवन की डोर,
हम सब के हाथ में ही होती है।
खुदको अज्ञानता के चंगुल में फ़साके,
हमारी किस्मत भी हमे यू दुखी देख रोती है।
सही दिशा में बढ़ने वाली हर आत्मा,
जीवन के अंत में चैन से सोती है।
धन्यवाद।