श्रीगंगानगर में गुस्साए किसानों ने सोमवार को नई धान मंडी के सभी मुख्य दरवाजे बंद कर दिए। किसानों ने कपास-नरमा की खरीद में अवैध कटौती सहित कई आरोप लगाए। किसानों ने जमकर नारेबाजी की और काफी देर सड़क पर बैठे रहे। लगभग 4-5 घंटे की कशमकश के बाद किसान, मजदूर एवं व्यापारी नेताओं की अनाज मंडी समिति कार्यालय में हुई बैठक में हुई, काफी मनमनोबल के बाद किसानों को गेट खोलने को तैयार किया।
इन किसान नेताओं का कहना था कि किसान, मजदूर, मंडी समिति एवं कच्चा आढ़तिया साथ हैं। सिर्फ पक्का आढ़तिया व्यापारी मनमानी कर रहे हैं।अब कोई शक नहीं कि कृषि उत्पादों पर खरीददारों की मनमानी नहीं हो रही।
मूंग 35-40रू. में खरीद बाजार में 70रू. अभी से बिक रहा है। बाद में 100रू मे भी पहुंचेगा। सभी जिन्सों पर यही कुछ रवैया है। आज किसानों को अपने उत्पाद को बेचने के लिए इतने यत्न करते हुए भी सही मोल नहीं मिलता और किसान के हाथ से निकलते ही उस उतपाद को दुगुने से भी ज्यादा रेट पर वापिस आम जनता को बेचकर कालाबाजारी के गुर्गे चाँदी बटोर रहे हैं फिर चाहे किसानों की मूंग हो, सरसों हो, टमाटर हो या प्याज हो, जब किसानों द्वारा बेचने के लिए मंडी लाया जाता है तो उसे उचित भाव नहीं मिलता ओर जब यह व्यापारियों के पास पहुंच जाता है तो 10 गुणा अधिक रेट पर बिकने लगता है।
आखिर क्यों इतना अंतर, आख़िर हर बार किसान के साथ ही बेईमानी क्यो? कब जागेगा किसान, कब सरकार से अपने हक की लड़ाई जीतेगा। आख़िर कब आएगा वो दिन जब किसानों द्वारा अपनी जींस,(कृषि उतपाद का भाव निर्धारित किया जाएगा) जब व्यापारी अपने उतपाद की कीमत खुद तय करता है तो किसान को यह क्यों नहीं करना चाहिए।
आखिर किसानों की मेहनत हमेशा कम क्यों आँकी जाती है, देश की सरकार किसानों के हितों को क्यों भुला देती। आखिर किसान भी इंसान हैं।उसका भी परिवार हैं, किसानों को कृषि उतपाद के उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार को विशेष योजनाओं का निर्माण करना और पहले से मौजूद कानूनों का पूर्ण निष्पक्ष क्रियान्वयन करना चाहिए।
[स्रोत- सतनाम मांगट]