दिघलबैंक :- “मकई” अपने क्षेत्र के लिए सोने-चांदी से कम नही है। जब से इसकी पैदावार क्षेत्र में जोर शोर से हो रही है तब से इलाके की ततवीर व तस्वीर दोनों बदल चुकी है। किसान भाइयों ने हाड़ तोड़ मेहनत कर अपने ग्रोथ को ऊंचे पायदान पर पहुंचाया है। लेकिन कुछ लोग इस सीजन में शार्टकर्ट तरीके से अम्बानी बनने की जुगाड़ में लगे हैं।
कुछ मकई व्यापारी आजकल किसान भाइयों से लुकाछिपी खेल रहे हैं। ये धूर्त व्यापारी भोले भाले किसानों की आंखों में धूल झोंककर वजन में घपला कर देते हैं। ऐसे लोग मकई को ऊँचे दाम में खरीदने का लुभावना ऑफर देकर किसानों को अपनी और मोह लेते हैं।
सूत्रों के मुताबिक घपलों के सौदागर 100 kg में 3-4 kg तक का घपला करते हैं। इसके लिए ये लोग अपना तेज़ दिमाग का उपयोग करते हैं। नासा वैज्ञानिक भी इनके सामने बौना साबित हो जाएंगे। इसके लिए धूर्तबाज़ मकई व्यापारी अक्सर डिजिटल तराजू से छेड़छाड़ करते हैं।
तराज़ू के अंदर ही ऐसी सेटिंग करते है कि शुद्ध 5 kg का वजन वहां 3 kg दिखता है। इस चक्कर में का खून जलता है किसानों का और मौज उड़ाते है ये नकलची व्यापारी। सोचिये किसानों का कितना नुकसान होता है। तभी तो मैं भी सोचूं की मकई सीजन में इतने छूटभैये व्यापारी कहाँ से पैदा हो जाते हैं।
यहां तो शॉर्टकट में अम्बानी बनने का फॉर्मूला इनके पास रहता है। इसलिए इन मलाईखोरों से सावधान रहें। वजन करते समय तराज़ू को अवश्य चेक करें तथा नज़रे मीटर पर रखें।
[स्रोत- निर्मल कुमार]