मुंबई में फिर से मराठी और हिंदी फिल्मों के बीच बहस चल रही है. हिंदी फ़िल्म “टाइगर जिंदा है” और मराठी फ़िल्म “देवा” 22 तारीख को प्रदर्शित हो रहीं हैं लेकिन यशराज फिल्म् का आक्रामकता यह है कि ज्यादातर स्क्रीन ‘टाइगर जिंदा है’ के लिए आरक्षित कि गई हैं इसलिये मराठी फिल्मों को थिएटर नहीं मिल पा रहा है. मल्टीप्लेक्स में तो ये समस्या है ही लेकिन सिंगल स्क्रीन जैसे प्लाजा, चित्रा और स्टारसीटी जैसे लोकल स्क्रीन में भी “देवा” को शो नहीं पा रहे हैं. अब मनसे ने भी इसके ख़िलाफ़ आवाज उठाई और स्क्रीन न मिलनेपर अपनी तरह से जवाब देंगे ऐसा पत्र मनसे की फिल्म संगठन द्वारा जारी किया गया है.
अन्य गैर-हिंदी राज्यों में, क्या इस तरह की दादागिरी बर्दाश्त होगी? एक बार दक्षिणी राज्य में, ऐसा करने का साहस कर के देखे महाराष्ट्र में हि मराठी क्यों दबाया जाता है? ध्यान दें कि आपका कर्तव्य हैं कि सभी फिल्मों को मौका दे. आपका थिएटर हिंदी फिल्मों के लिये बँधे नहीं हैं. फिर अन्य निर्माता कहां जाएं यह हमारा सवाल है, आप कहेंगे कि यह आपकी समस्या है, हम जो चाहैं हम करेँगे. तो फिर ध्यान से सुनलो कि महाराष्ट्र के अस्मिता को बचना और मराठी फिल्मों के अधिकार को पाने के लिए यह हमारा सवाल है और इसके लिये हमें जो कुछ भी करना होगा वो हम करेंगे.
जिये और दूसरों को भी जिने दे इसी में सबका हित है और अगर आप इन दो भाषाओं को समझ नहीं पाते हैं, तो हमें आपको हमारी “विशेष” भाषा में समझाना पड़े इतना तेज खिंचाव न करें ऐसा संगठन के अध्यक्ष विनोद खोपकर ने कहा.
[स्रोत- धनवंद मस्तूद]