तारानगर शहर के वार्ड 25 में रहने वाले सत्यनारायण शर्मा ने अपनी वकील बेटी सत्यपुजा की शादी से पहले निकलने वाली बिंदोरी में बेटी को घोड़ी पर चढ़ाकर घर से बाहर निकाला। यह बिंदोरी सत्यनारायण जी के घर से कई वार्डो से होती हुई सोनी धर्मशाला पहुची। सत्यनाराण शर्मा ने कहा कि मेरा सपना है, की मे अपनी बेटियों की शादी बहुत ही अच्छे तरीके से बिना बेटा-बेटी के भेद करे करु। इसे चाहे बेटियो का भाग्य कह दो, या मेरा सौभाग्य।
29 नवम्बर को होने वाली सत्यपूजा की शादी के निमंत्रण पत्र में भी सभी कार्यक्रमो के साथ बिंदोरी कार्यक्रम को भी प्रकाशित किया गया है। सत्यनारायण जी के 4 पुत्रियां और एक पुत्र है। और उनकी दो बेटियां वकील एक बेटी अंग्रेजी से स्नातकोत्तर एक ने सामान्य शिक्षा ग्रहण की है। उनका इकलौता बेटा तरुण शर्मा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
एक तरफ जहा तहसील में एक फौजी के द्वारा अपनी दो दिन की मासूम बेटी को जिसने अभी आँख भी नही खोली थी, उसे बाल्टी में डुबोकर मार दिया था। तो दूसरी तरफ समाज में सत्यनारायण जी ने बेटियो के लिए खुद को सौभाग्यशाली बताया। समाज के दो रूप देखने को मिले है।
सत्यनारायण जी की तरह बेटा-बेटी को एक समान समझने वाले लोगो की आज समाज को बहुत ज्यादा जरूरत है। बिंदोरी में सत्यपूजा के दादा बंशीधर शर्मा, ताऊ श्यामसुन्दर, चाचा वैद्य जयप्रकाश, महेंद्र कुमार, अनिल शर्मा, ऋषिकुमार विजय कुमार, इंद्र कुमार, नन्दलाल सुखलाल सहित बड़ी संख्या में महिलाये व् कसबे के गणमान्य लोग शामिल हुए। शहर में बेटी की इस तरह निकली बिन्दोरि चर्चा का विषय रही है।
[स्रोत- विनोद रुलानिया]