फिर भी

प्यार से भी प्यारा

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प्रस्तुत पक्तियों में कवयित्री दुनियाँ को प्यार की परिभाषा समझा रही है। वह चाहती है कि दुनियाँ ये जाने प्यार से प्यारा इस दुनियाँ में कुछ नहीं, जिस इंसान के अंदर प्रेम की सच्ची भावना है वह कही भी, किसी के साथ भी, प्रेम से रह सकता हैं। ये प्रेम हम सब के अंदर होता है लेकिन ये प्रेम हम बस अपनों तक ही रखते है लेकिन अगर हम इस प्रेम को सबमे बाटें तो दुनियाँ का कोई इंसान दुखी नहीं होगा, किसी को गलत करता देख, कोशिश करो, उसे प्रेम से सही दिशा दिखाओ क्योंकि प्रेम में बहुत ताकत होती है।

हम सब में गुस्सा हैं,पर प्रेम भी है, जब गुस्सा आये तब अपने संग बैठ के अपने आप को प्रेम से समझाओ क्योंकि प्रेम और गुस्सा दोनों ही हमारे अंदर है लेकिन ये हम पर निर्भर करता है हम किसकी बात सुने और खुदको कैसा इंसान बनायें।

अब आप इस कविता का प्रेम से आनंद ले

प्यार से भी प्यारा,कोई होता नहीं।
प्यार का अपना ,कोई वजूद होता नहीं।
चल पड़ता हैं हर दिशा में, फैलाये अपने रंग,
प्यार के, प्यार करने के, होते अपने ढंग ।

प्यार से भी प्यारा, कोई प्यार,
किसी से कर नहीं सकता।
परायों में भी रहकर लागे,
उसे हर कोई अपना।

प्यार से भी प्यारा होता है,
प्यार करने वाले के अंदर का रूप।
काला नहीं पड़ता,
लगे चाहें, उसे ज़िन्दगी की कैसी भी धूप।

प्यार से भी प्यार करने को, जी करता है।
जो न जान पाये इसकी असलियत,
सामने होते हुये भी,
वो इसे पाने की उम्मीद में मरता हैं।

प्यार से भी प्यारा है प्यार का दामन,
जिसमें निस्वार्थ प्यार है, सबके लिए,
दिखावा नहीं जिसमें ज़रा भी,
ऐसा प्यार ही तो है, मेरा रब के लिए।

प्यार से भी प्यारा है प्यार का अंदाज़,
मिला कर सबको रखता,
न करता ये ज़रा भी आवाज़।
इसकी अलौकिक ध्वनि,
जब इन कानों में पड़ती हैं।
दुनियाँ की बुराई को भी देख,
ये कवयित्री ख़ुशी से आगे बढ़ती हैं।

इसका ये कैसा वजूद,
मुझमें कही पनपता हैं।
थामु जो कुछ पल कों अपनी सांसे,
तो ये कही मुझमे ही खनकता हैं।
इसकी सुनते सुनते ना जाने,
कितना कुछ लिख जाती हैं।
अपना हाले दिल,
फिर लोगों को, इन कविताओं के ज़रिये सुनाती हूँ।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com.

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