क्रिप्टोकरेंसी का परिचय
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जो क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) तकनीक पर आधारित होती है। यह पारंपरिक मुद्राओं (Rupee, Dollar, Euro) से अलग होती है क्योंकि इसे किसी सरकार या बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता। ब्लॉकचेन (Blockchain) तकनीक के माध्यम से यह सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से काम करती है।
क्रिप्टोकरेंसी के प्रमुख उपयोग
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लेन-देन (Transactions) – क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग ऑनलाइन भुगतान और फंड ट्रांसफर के लिए किया जाता है, जिसमें कोई मध्यस्थ (जैसे बैंक) नहीं होता।
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निवेश (Investment) – बिटकॉइन (Bitcoin), एथेरियम (Ethereum) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करके लोग लाभ कमाते हैं।
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स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts) – एथेरियम जैसे प्लेटफॉर्म स्वचालित अनुबंधों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
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एनएफटी (NFTs) – डिजिटल संपत्तियों (जैसे कला, म्यूजिक) को खरीदने और बेचने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जाता है।
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ग्लोबल भुगतान (Global Payments) – यह सीमाओं के पार त्वरित और सस्ते भुगतान की सुविधा देता है।
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान
फायदे:
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विकेंद्रीकृत (Decentralized)
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सुरक्षित और तेज़ लेन-देन
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निवेश के अवसर
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कम ट्रांजैक्शन फीस
नुकसान:
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उच्च अस्थिरता (Volatility)
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कानूनी अनिश्चितता
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साइबर हमले का खतरा
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर मिश्रित राय है। सरकार इस पर नियम-कानून बनाने की योजना बना रही है। हालाँकि, ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।