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आरटीओ ऑफिस आगरा में अभी भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ है

आगरा: योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर सख्त होने की बात करती हो लेकिन जमीनी हकीकत आंखें खोलने वाली हैं बगैर लेन-देन संभागीय परिवहन विभाग में कोई काम नहीं होता है यूं तो ऑडियो की वर्किंग को ऑनलाइन कर दिया गया है लेकिन इसके बावजूद बगैर सुविधाशुल्क कोई काम नहीं होता कल काम को लेकर ही एक बाबू और बैल दलाल के बीच मारपीट तक हो गई इस घटना के बाद विभागीय अधिकारी बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश रोकने को सख्त कदम उठाने की बात कर रहे हैं।

लेकिन लगता नहीं है कि यहां के अधिकारी ऐसा कुछ कर पाएंगे आरटीओ कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना भी आसान नहीं है क्योंकि लाइसेंस बनवाने की फीस ₹350 फिक्स है लेकिन यही काम दलाल के जरिए ₹12000 में होता है।

इस रकम में से ₹500 बाबू के होते हैं और बाकी के पैसे दलाल के अगर कोई व्यक्ति दलाल के बगैर ऑफिस में काम करवाना चाहता है तो यह मुश्किल होता है थक हार कर भी दलाल के पास लौटने को मजबूर हो जाता है इस संवाददाता आम व्यक्ति के रुप में कुछ दलालों से बात की तो लर्निंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया के बारे में पूछा तो जला लो एक ₹350 ऑनलाइन फीस जमा होती है ₹1200का खर्चा आएगा।

₹350 काम के बारे क्यों यह सवाल पूछने पर दलालों के होते हैं लर्निंग लाइसेंस की अधिकांश कामों के लिए अपने रिश्तेदार के यहां बैठे अधिकारी भी आंखें मूंद रहते हैं उनसे कभी कोई शिकायत भी नहीं कर सकता उल्टा उसे ही भगा दिया जाता है बाबू ने आवेदकों को हटाने का तरीका ढूंढ लिया है वह सर्वर डाउन होने की बात कहकर लोगों को भड़काते रहते हैं आरटीओ दफ्तर में कल सब ठीक था बायोमेट्रिक के लिए लाइन लगी हुई थी।

जबकि बाबू होने सरवर उड़ाना डाउन होने की बात कही कल आरटीओ दफ्तर में एक बाबू और दलाल के बीच मारपीट हो गई मामला यह था कि बाबू रिश्वत लेने के बाद भी काम करने में देरी कर रहा था पार्टी दलाल पर दबाव बना रही थी इसी बात पर दोनों बैठ गई मारपीट की घटना के बाद विभाग के अधिकारी ने रटी-रटाई बात कही बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने को जल्द सख्त कदम उठाए जाएंगे।

[स्रोत- बब्लू]

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