प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि परिस्थिति से भागकर आप अपनी मुसीबतों से बच नहीं सकते क्योंकि आपकी परिस्थिति की रफ्तार आपसे कही ज़्यादा होती है आप दुनियाँ के चाहे किसी भी कोने में छुप जाओ लेकिन आप कभी अपनी मुसीबतों से भाग नहीं सकते।कवियत्री सोचती है हर सफल व्यक्ति कभी अपनी मुसीबतो से नहीं भागा बल्कि उसे जो मिला जैसा मिला जिन भी हालातो में मिला हर सफल व्यक्ति ने जीवन की चुनौती को स्वीकार कर उसका डट के सामना करा फिर कही जाकर उन्हें सफलता मिली।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
आँखे बंद करने से मुसीबत ख़तम नहीं होती।
उतरना पड़ता है समुंदर की गहराईयो में,
फिर जाकर मिलता है कही सच्चा मोती।
उस सफर के दरमियाँ जान भी जा सकती है।
आलसी को मेहनती की सफलता, यूँ ही मिली लगती है।
किसने रोका है, तुम्हे बढ़ने से आगे,
मुसीबत से भाग, कुछ पलकों तो, ये जीवन सुकून सा लागे।
पर तुम्हारी रफ़्तार से तेज़, तुम्हारी परिस्थिति तुम्हारे पीछे भागे।
पछाड़ कर तुम्हे, वो तुम्हारे पीछे ज़रूर आयेगी।
क्योंकि तुम्हारी मुसीबत ही, तुम्हे जीवन को सफल बनायेगी।
जो सफल हो गये तुम हर परिस्थिति में,
फिर वही मुसीबत तुम्हारी नज़रो में, तुम्हारा सच्चा गुरु बन जायेगी।
असफल व्यक्ति को वही मुसीबत, अपने सफर में आई बाधा नज़र आयेगी।
धन्यवाद।