फिर भी

आँखे बंद करने से मुसीबत खत्म नहीं होती

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि परिस्थिति से भागकर आप अपनी मुसीबतों से बच नहीं सकते क्योंकि आपकी परिस्थिति की रफ्तार आपसे कही ज़्यादा होती है आप दुनियाँ के चाहे किसी भी कोने में छुप जाओ लेकिन आप कभी अपनी मुसीबतों से भाग नहीं सकते।कवियत्री सोचती है हर सफल व्यक्ति कभी अपनी मुसीबतो से नहीं भागा बल्कि उसे जो मिला जैसा मिला जिन भी हालातो में मिला हर सफल व्यक्ति ने जीवन की चुनौती को स्वीकार कर उसका डट के सामना करा फिर कही जाकर उन्हें सफलता मिली। Close Eyesएक गहरी बात जो कवियत्री इस कविता के माध्यम से दुनियाँ को बताना चाहती है कि मुसीबतें हमारे जीवन में हमारी परीक्षा लेने आती है और इनका आना भी ज़रूरी है वरना हम खुदको मज़बूत नहीं बना पायेगी इसलिए हमेशा हर परिस्थिति में ये सोचो जो मिला खूब मिला और ये वक़्त भी गुज़र जायेगा क्योंकि वक़्त कभी किसी का एक सा नहीं रहता सफलता उसी के ही पग चूमती है जिसने अपना बुरा वक़्त भी ख़ुशी-ख़ुशी निकाल लिया। याद रखना दोस्तों जो खुद मेहनत करने में विश्वास नहीं रखते उन्हें दूसरों की सफलता यूही मिली लगेगी।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

आँखे बंद करने से मुसीबत ख़तम नहीं होती।
उतरना पड़ता है समुंदर की गहराईयो में,
फिर जाकर मिलता है कही सच्चा मोती।
उस सफर के दरमियाँ जान भी जा सकती है।
आलसी को मेहनती की सफलता, यूँ ही मिली लगती है।
किसने रोका है, तुम्हे बढ़ने से आगे,
मुसीबत से भाग, कुछ पलकों तो, ये जीवन सुकून सा लागे।
पर तुम्हारी रफ़्तार से तेज़, तुम्हारी परिस्थिति तुम्हारे पीछे भागे।
पछाड़ कर तुम्हे, वो तुम्हारे पीछे ज़रूर आयेगी।
क्योंकि तुम्हारी मुसीबत ही, तुम्हे जीवन को सफल बनायेगी।
जो सफल हो गये तुम हर परिस्थिति में,
फिर वही मुसीबत तुम्हारी नज़रो में, तुम्हारा सच्चा गुरु बन जायेगी।
असफल व्यक्ति को वही मुसीबत, अपने सफर में आई बाधा नज़र आयेगी।

धन्यवाद।

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