फिर भी

चलो चला जाए।।

chalo chala jaye

नीले नीले आसमान में से,
ये धूप सुनहरी आए,
फिर आंचल खोलें अपना,
वो प्यार से मुस्कुराए।

खुल के अपने परों को,
तुम भी ले उड़ चलो,
देखो बुलाए ये गगन तुम्हे,
चलो चला जाए।

कहीं दूर पसारे बैठी है वो,
नैना बिछाएं,
देते चलो खुशियां,
फूलों को कुछ बिखेरा जाए।

देखो अंधेरे में बैठे बच्चे तुम्हे बुलाए,
हाथ पकड़ कर उनका,|
कैसा लगता है,
कुछ खिलखिलाहट बांटी जाए।

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न रमा नयाल ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

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