गर्मी की छुट्टियों के बाद शनिवार से प्रदेश के 1.6 लाख परिषदीय स्कूल खुल जाएंगे लेकिन, इन स्कूलों के बच्चों को शासन की मंशा के अनुरूप जुलाई के पहले पखवारे में किताबें, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और जूते-मोजे मुहैया करा पाना बेसिक शिक्षा विभाग के लिए कठिन चुनौती होगी.
तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ बच्चों के हाथों में चुनिंदा पाठ्यपुस्तकें भले पहुंच जाएं लेकिन, मौजूदा हालात में बच्चों को जुलाई में यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और जूते-मोजे मिल पाना मुश्किल है.परिषदीय स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को कुल 53 किताबें पढ़ायी जाती हैं. इनमें से अब तक 40 किताबों की छपाई ही शुरू हो पायी है.
बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबों की त्वरित आपूर्ति के लिए प्रकाशकों पर दबाव बनाया है, लेकिन फिर भी प्रदेश के सभी जिलों में किताबें अब तक नहीं पहुंच पायी हैं. बच्चों को यूनिफॉर्म मुहैया कराने में भी अभी समय लगेगा क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय ने इसके लिए जिलों को धनराशि 28 जून को आवंटित की है. चूंकि प्रत्येक बच्चे की नाप लेकर यूनिफॉर्म सिलवाने का प्रावधान है, इसलिए इसमें समय लगेगा.
रस्मी तौर पर कुछ बच्चों को स्कूल बैग और जूते-मोजे भले दे दिये जाएं लेकिन, यह ऊंट के मुंह में जीरा होगा. टेंडर प्रक्रिया में हुए विलंब के कारण ज्यादातर बच्चों को बैग और जूते-मोजे अगस्त में ही मिल सकेंगे.
29 हजार बच्चे बेसिक शिक्षा से छूटे बेसिक शिक्षा के दायरे से छूटे हुए छह से 14 वर्ष तक के बच्चों का पता लगाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से बीती पांच से 15 मई तक घर-घर सर्वेक्षण कराया गया था.
सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय को प्रदेश के 74 जिलों से प्राप्त सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर सूबे में 28,900 बच्चे ऐसे पाये गए हैं जो बेसिक शिक्षा से वंचित हैं. इन बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराना भी बड़ी चुनौती होगी. शनिवार शाम तक राज्य परियोजना कार्यालय को गोरखपुर से रिपोर्ट नहीं मिली थी.