फिर भी

काहिलपना और जलालत के बीच उत्तर प्रदेश के जातिय धार्मिक झगड़ो के कारण

सत्य यह है की हमारे देश में अगर जातिय धार्मिक झगड़े बवाल न हो तो देश के लिए ज्यादा मुश्किल हो जाएगी , खुलेआम तो नहीं पर चोरी-छिपे सरकार को चन्द्रशेखर रावण, खालिद, जिग्नेश, कन्हैया जैसे लोगो को गुलाब के फूलों की माला पहनाकर सम्मानित करना चाहिए, लालू, मुलायम, ममता, ओवैसी और गप्पी मोदी जैसे नेताओं की ममी बनाकर संरक्षित कर लेना चाहिए कि क्या पता कभी अमरता की खोज हो जाएं तो सबसे पहले ललुआ को अमर करना चाहिए.

ऐसा नहीं है कि हमारी ये धारण बस ऐसे ही बन गई है , इसके पीछे ठोस कारण है और वो कारण है कि बाई नेचर हम भारतीयों में काहिलपना और जलालत कूट-कूट कर भरी हुई है , हम जैसे लोगों को सुख सुविधाएं तो चाहिए मगर श्रम नहीं.

ऐसे में हम परिश्रम न करने के बहाने तलाशते हैं और ईश्वर की असीम अनुकम्पा से लालू, मुलायम, मोदी, ओवैसी जैसे नेता हमारे सपनों के बहानों को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करके हमारे ख्यालों के हिसाब से बकैती करते हैं.

अगर ये न रहे तो क्या होगा, जाहिर सी बात है कि विध्वंसकारी नेता नहीं भी रहते तो भी हम रहते और हम ऐसे ही रहते जैसे अभी है.

जैसे किसी ने एक बार कहा कि भारत पर मुसलमान हमला नहीं करते तो कितना अच्छा होता, भारत पर मुसलमान नहीं हमला करते थे तब युनानी हमला करते थे, शक कुषाण हुड हमला करते थे, कुकुर बिलार को छोड़कर सब हमला करते थे तो मुसलमानो ने ही हमला करके कौन सा नया काम कर दिया. तो मुगल नहीं होते या मुलायम नहीं होते तो इससे भी बुरा कोई होता ये छोटी-छोटी बातों पर झगड़े नहीं होंगे तो गंभीर बातों पर झगड़े होंगे जिसका कोई अंत नहीं होगा.

बहुत अच्छी बात है कि लोगों को उनके असली समस्याओं से भटकाकर काल्पनिक और न सुलझने वाले मुद्दों में उलझा दिया गया है, इसी की देन है कि हम मनुस्मृति पर चर्चा करते हैं मगर मेडिकल सुविधाओं पर चर्चा नहीं करते, हम महिषासुर और दुर्गा के उपर चर्चा करते हैं मगर बाढ़ सूखा भुखमरी पर चर्चा नहीं करते, हम मुसलमानों पर चर्चा करते हैं मगर मूल मानवीय सुविधाओं पर चर्चा नहीं करते.

इस देश का भिखारी भी इस देश में एक साल में कम-से-कम दस हजार का टैक्स दे देता है सरकार को, अब इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि तब सारे देश वाले कितना धन देते हैं फिर भी देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक स्थिति आजादी के बाद से ही कभी बताने लायक नहीं हुई, यहां तक कि ईमानदार कहे जाने वाले हिन्दू ह्रदय सम्राटो के समय में भी बस सबकुछ घसीट कर चल रहा है.

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