फिर भी

आसमान में चमकते तारे

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियां को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि दूर गगन में तारे बिना कुछ कहे ही हमसे कितना कुछ कह देते है। उनकी ख़ामोशी में भी कितना ज्ञान छुपा हुआ है जिसे हर कोई पढ़ नहीं सकता ऐसा नहीं की उसके जीवन में दुख नहीं उसे भी कभी कभी काले बदल घेर लेते है लेकिन फिर भी वो चमकना नहीं छोड़ता।

लोग रात में अक्सर चाँद तारो को देख अपने दुखड़े उनके सामने कह देते है लेकिन वह तो बोल भी नहीं सकते ग्रहण तो चाँद को भी लगता है । याद रखना दोस्तों इस दुनियाँ में ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं जो दुखी ना हो सबके जीवन में कुछ न कुछ संघर्ष तो चलते ही रहते है, इसलिए एक दूसरे से प्रेरणा लेकर एक दूसरे का उत्साह बढ़ाओ। ।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

आसमान में चमकते तारे,
अक्सर ये सोचा करते है।
मुझे यू चमकता देख,
लोग खुश तो हो लेते है।
अपने मन की कहकर,
वो अक्सर मेरे सामने रो देते है।
मगर मैं बेज़ुबान किस-किस को,
और कैसे अपनी तकलीफ बताऊ??
काले बादल तो मुझे भी घेरते,
फिर खुली हवा में, मैं कैसे मुस्कुराओ??
हट ती है जब उन बादलो से चादर,
इस दुनियां को दूर से देख,
करता हूँ, मैं भी सबका आदर.
थक हार कर मैं भी,
एक ही जगह पर टिमटिमा लेता हूँ।
हर हाल में खुश रहने की कला,
मैं यूही लोगो को सिखा देता हूँ।
अपने मन पर काबू लगाकर,
मैं सबकी खातिर मुस्कुरा देता हूँ।

धन्यवाद

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