फिर भी

चीनी सामान का बहिष्कार

रविशकुमार की रिर्पोट पढ़ी उसे देखकर लगता है कि रविश कुमार पागल हो गया है जो भी इसने अपने ब्लाग में लिखा या फोटो लगाई है उसे देखते हु लगता है कि ये कोई निचले स्तर का बिलकुल ही तुच्छ रिर्पोटर है और शायद उसे भी मालुम होगा कि एक दूसरे देश पर व्यापार के लिये सरकार की तरफ से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता उसकी जगह अपने देश की जनता को ही जागरूक किया जा सकता है लेकिन इन बातों से रविश कुमार का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं लगता है क्यों कि उन्होंने बोला है कि अगर चीनी सामान के बहिष्कार की बातें होती है तो इससे पहले सोचना चाहिये था अब तो छोटे शहरों व गावों कस्बों वाले व्यापारी दीपावली में बेचने का सामान बड़े शहरों से खरीद चुके और अपना पैसा उसमें लगा चुके तो अब इन सामानों का बहिष्कार करना ठीक नहीं होगा क्योंकि उन लोगों के पैसे तो लग ही चुके ओर अगर अब इनसे कोई सामान नहीं खरीदने वाले मैसेज जांएगे तो सारा सामान इनके (व्यापारियों) पास ही रह जाएगा जिससे इनको भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा तो जो छोटे व्यापारी हैं उनकी तो रोजी रोटी ही इसपर चलती है और अभी अपना सारा पैसा वो लोग चीनी सामान खरीदने में लगा चुके, और जब तक इनका सारा सामान नहीं बिकेगा इनके पास पैसा वापस नहीं आएगा, और दूसरा सामान भी नहीं खरीद पाएंगे । तो इनके खाने के लाले पड़ जाएंगे, और इनके बच्चे भूखे रहेंगे, इसलिये आप सब को इसबार चीनी सामान खरीदना चाहिये।

अगर ऐसा है तो क्या चीनी सामान के बहिष्कार की बातें अपने देश में पहली बार हो रही है जो उन्होंने (व्यापारियों) बड़े शहरों से चीनी सामान अपने गावों और कस्बों मे बेचने के लिये खरीद लिया, उन्होंने तो डबल मुनाफा कमाने के लिये जानबूझ कर ये सामान खरीदा है, ताकि उससे इनको बहुत ज्यादा मुनाफा हो इसलिये इनपर दया करके या अपना भाई बंधू समझ कर चीनी सामान नहीं खरीद सकते इन्होंने जानबूझकर अपने लिये खड्डा खोदा है और अगर इस बार इनको अपना समझकर इनसे चीनी सामान नहीं खरीदेंगे तो अगली बार से अपने आप कोई कम मुनाफे वाला सामान ही हो वो ही बेचने के लिये गावों में लाएंगे । और चीनी सामान खरीदने की हिम्मत ही नहीं करेंगे बजाय इसके कि ज्यादा मुनाफा कमानेके । क्या ये रविश धीरे धीरे देशद्रोही की लाईन में आ रहा है जो चीनी सामान खरीदनें की वकालत अपने ब्लाॅग स्तर पर कर रहा है इसे पता नहीं है कि देश के हित में चीनी सामान खरदने बेचने में नहीं है अपितु अपने देश में निर्मित सामान ही खरीदने बेचने में है इसमें भी बहुत लोगों को रोजगार मिल रहा है.

[ये भी पढ़ें : डोकलाम विवाद – ड्रैगन की चाल अब नहीं होगी कामयाब]

मुझे याद है पिछली दिपावली पर बहुत अधिक संख्या में लोगों ने मिट्टी के दीपक उपयोग में लिये थे जिससे दीपक बनाने वालों को बहुत अधिक रोजगार मिला था जो व्यापार काफी सालों से सूना पड़ा था उसमें अचानक जान आगई थी और वो लोग काफी खुश थे ये तो एक बहुत ही छोटा सा उदाहरण है ऐसी ओर भी बहुत कोशिशें कामयाब हुई और इस बार तो उससे भी बहुत अधिक सजग हैं क्योंकि चाईना आए दिन हमारी सेना से झड़प करता रहता है तो क्या हम फिर भी उस देश को व्यापारिक फायदा पहुंचाना चाहेंगे जिस देश की सेना ने हमारे जवानों को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश की ये बात रविश को समझ में क्यों नही आ रही राजनीति करो कोई बात नहीं लेकिन क्या देश को नुक्सान पहुंचाने वाली बातों का सप्र्पोट करना चाहिये ? बिलकुल नहीं । मुझे लगता है कि सिर्फ दिपावली पर ही नहीं बल्कि हमेशा के लिये चीनी सामान का पूरी तरह से बहिष्कार होना चाहिये ।

Exit mobile version