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जन्मदिन विशेष: 93 के हुए अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को हुआ। उनकी माताजी का नाम सहधर्मिणी कृष्णा और पिताजी का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे । अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नही की वे आजीवन अविवाहित रहे।Atal Bihari Vajpayeeअटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने कानपुर के डी.ए.वी. कालेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए.की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल.एल.बी. की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।

प्रधानमंत्री के रूप में अटल का कार्यकाल भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना, पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल, कारगिल, युद्धस्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास, नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।

दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।

उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं-

मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह), कैदी कविराय की कुण्डलियाँ, संसद में तीन दशक, अमर आग है।

सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी.आई.ए. को भनक तक नहीं लगने दी। उन्हे बहुत सारे पुरस्कारो से भी नवजा गया। पद्मविभूषण, भारतरत्न, लोकमान्य टिळक, दी लिट, श्रेष्ठ संसद पुरस्कार, ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, बांग्लादेश सरकार द्वारा ने दिया।

[स्रोत- बालू राऊत]

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