फिर भी

बेजुबान की भी जुबान होती है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जो इंसान कम बोलता है इसका मतलब ये नहीं कि उसे बुरा नहीं लगता दर्द सबको होता है कोई चीख लेता है तो कोई चुप कर जाता है। चुप रहने की कला हर किसी में नहीं होती। सबको अपना दु:ख ही बड़ा लगता है इसलिए जिस दिन से लोग दूसरों के नज़रिये से भी ये दुनियाँ देखने लगेंगे उस दिन से किसी घर में कोई लड़ाई झगड़े नहीं होंगे। याद रखना दोस्तों किसी की चुप्पी को कभी उसकी कमज़ोरी मत समझना। बेज़ुबान की भी ज़ुबान होती है, बस कोई जवाब नहीं देता तो इसका मतलब ये नहीं की उसे बुरा नहीं लगता।girl on beachअब आप इस कविता का आनंद ले-

बेज़ुबान की भी ज़ुबान होती है।
चुप्पी साध, चुप कर जाने में,
हर किसी के चेहरे पर मुस्कान होती है।
मगर हर किसी के बस में नहीं चुप कर जाना।
ये कोई अनोखी कला नहीं,
ये तो है किसीका कीमती खज़ाना।
इस कला को यारो हर किसी ने,
इस दुनियाँ में कहाँ है पहचाना??
जो चला शांति के पथ पे,
बैरी बन बैठा उसका ये ज़माना।
छोटी सी ज़िन्दगी है यारो,
हो सके तो यहाँ जी भर के इज़्ज़त तुम कमाना।
किसी के दुखो के ऊपर,
तुम उसका उपहास कभी न उड़ाना।
मन मर्ज़ी करके कुछ पा भी लिया,
तुम्हारी यादो के साथ,
उसे भी यही है रह जाना।

धन्यवाद।

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