फिर भी

क्योंकि हम इंसान है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को इंसानो की विशेषताये बताने की कोशिश कर रही है। वह सोचती है हम इंसान ही तो है हमे कभी गुस्सा आता है तो कभी हमे ही प्यार आता है। हमारे भाव परिस्थितियों के साथ बदलते रहते है। ज्ञान की राह में इंसान खुदको अक्सर भगवान समझने की भूल कर बैठता है क्योंकि ईश्वर तो सर्वव्यापी है वो हर जीव के अंदर रहते है तो कोई एक ईश्वर कैसे हो सकता है?because we are human

बस इंसानो में समझ का अंतर होता है। कोई ईश्वर की दी हुई किताबे सही ढंग से समझता है तो कोई उसे समझ नहीं पाता। हर सच्चे मनुष्य के जीवन में बहुत सी मुश्किलें आती है जो और कुछ नहीं ईश्वर की ली हुई परीक्षाये होती है।अज्ञानी मनुष्य उन परीक्षाओं को समझ नहीं पाता फिर बाद में अपना बीता कल याद करके पछताता है। याद रखना एक अज्ञानी के अंदर भी ईश्वर है बस फर्क इतना है अज्ञानी अपने ईश्वर की आवाज़ सुन नहीं पाता और गलत दिशा में निकल जाता है।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

गुस्सा भी हममे,
तो करुणा के जज़्बात भी है हममे,
हिला के रख दे जो इस दुनियाँ की नीव,
ऐसी हर अनोखी क्षमताये भी है हममे।
तो क्या हुआ अगर ये दुनियाँ हमने नहीं बनाई है।
अपनी क्षमताओं को जगाके,
इसको अपनी मेहनत से तो सजाई है।

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बुरे को बुरा करते देख,
हम अपना आपा खो देते है।
बिन बात पर किसी से उलझ,
हम ही तो कभी रो देते है।
तरह-तरह के भाव,
अलग-अलग परिस्थिति में हमारे मन में आते है।
संकल्प कर पूरा अपना,
हम सब यहाँ से जाते है।

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अपने अस्तित्व्य को न समझ,
जीवन में अपने कर्मो द्वारा ही,
जीवन से जुड़ी, हम ठोकरें खाते है।
खुदपर निर्भर न होकर,
हम दूसरे से न जाने क्यों ज़्यादा उम्मीद लगाते है?

ज्ञान की राह में खुदको,
हम अक्सर भगवान समझ लेते है।
अपने जीवन की नईया में,
पहले खुद ही छेद कर,
हम दूसरों को भी डुबो देते है।

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जीवन के सफर में,
जो खुदको आजीवन संभाल लेते है।
ईश्वर की बनाई इस दुनियाँ में,
ईश्वर उनकी कदम-कदम पर परीक्षा लेते है।
न समझ लोग अपनी अज्ञानता के कारण,
अच्छे लोगो का साथ खो देते है।
हर बार जीवन की परीक्षा में असफल होकर,
फिर अच्छाई के सामने अपने दुखड़े रो लेते है।

शायद इसलिए क्योंकि हम सब इंसान है।
गलतियाँ इंसान से ही होती है।

धन्यवाद

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