आज बिगड़ते देश के हालात से हर कोई वाक़िब हैं पर आवाज़ उठाये कोई भी तैयार नहीं हैं कौन क्योंकि देश अभी सो रहा हैं. ऐसा नहीं है कि देश कभी जगता नहीं है, जगता हैं पर तब जब देश के ढोंगी बाबा संकट में हो या फिर मंदिर मस्जिद का निर्माण कराना हो वरना कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता इस देश की जनता को. तब भी नहीं जब इनके बच्चे अस्पतालों में मर रहे हो या चाहे ये खुद मंहगाई के बोझ तले दब के मर रहे हो क्योंकि अभी यह देश सो रहा होता हे।
अगर देश पहले जग गया होता तो शायद किसी के नापाक क़दम इस धरती पर ना पड़ते। अगर देश अंग्रेज़ी हुकूमत से पहले जग गया होता तो देश कभी ग़ुलाम न होता और जब देश जागा तो सदियो पुरानी ग़ुलामी से देश को आज़ादी मिल गयी, क्योंकि उनको ग़ुलामी सहने की आदत नही थी और उन्होंने गुलामी से मौत को गले लगाना बेहतर समझा।
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उस दौर में अनगिनत क्रांतिकारियों ने देश कि आज़ादी के लिये हँसते-हँसते अपनी जान इस देश नयोछावर कर दी। तो फिर क्यों आज वापस देश गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़ता जा रहा है। चाहे वो विदेशी ताक़तों के आगे हो या देश की कोई राजनीतिक पार्टी, आज देश की जनता उनके सामने गुलामी ही नज़र आती दिख रही हैं। आज देश में चीनी बाज़ार ने अपने पाँव इस तरह जमा लिये हैं कि देश चाहते हुए भी चीनी बाज़ार का बहिष्कार नहीं कर पा रहा हैं।
राजनीतिक पार्टियों का इस तरह गुलाम बनता जा रहा हैं कि चाहकर भी सक्षम व अच्छे व्यक्ति को वोट न देकर, किसी भी पार्टी द्वारा चुने व्यक्ति को ही वोट देना पड़ रहा है क्योंकि देश में पार्टियों के उम्मीदवारों को वोट मिलता हैं और फिर उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वो किस छवी का व्यक्ति हैं।
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मगर ये देश की जनता की जिम्मेदारी है कि अपना वोट अच्छे उम्मीदवार को ही करें. अगर उम्मीदवार सही हैं तो फिर फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पार्टी का ही हैं या फिर निर्दलीय। बस अच्छा व सक्षम नेता हो देश का हित चाहता हो। अब देश को जगना होगा और अपनी ताक़त पहचाननी होगी और इस प्रकार की गुलामी की जंजीरो से निकलना होगा ।
जय हिन्द, जय भारत
[स्रोत – कमलेश चौहान]