फिर भी

कम से कम तुम तो समझो

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि इंसान जब गलत दिशा में बढ़ता है तो उसे किसी की बात समझमे नहीं आती लेकिन जो समझदार है कम से कम वो तो गलत राह में अपना कदम न बढ़ाये। कोई बुरा नहीं होता दुख सबके जीवन में होते है बस जब समय ख़राब हो तब भी सही मार्ग से मुँह न मोड़ना।kam se kam tum to samjho

गलत किसीको करता देख उसकी तरह गलत करने की मत सोचना क्योंकि ईश्वर गलत करने वाले को भी सही वक़्त पर सही राह दिखाते है। किसी ने खूब लिखा है- अग्नि में तप के सोना है और भी निखरता। इन बातो की गहराई शायद कुछ ही लोगो को समझ आये लेकिन याद रखना जब एक इंसान सही दिशा में चलने की ठानेगा उसके तप से पूरे परिवार में शान्ति बनी रहेगी और उसका भी इस जग में नाम होगा।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

किसी को गलत करता देख,
तुम खुद भी वही गलती न करना.
उस गलत राह की मंज़िल में,
पहला कदम बढ़ाने से भी तुम डरना.

अगर सही इंसान भी गलत दिशा की ओर बढ़ता जायेगा.
गलत दिशा की मंज़िल में सही रास्ता किसीको नज़र नहीं आयेगा.
खुदको कर लेंगे सब बर्बाद, फिर कोई किसी को सही राह नहीं दिखायेगा.
अपने को जो पहले संभाले, वही दूसरों को भी सही दिशा दिखायेगा।

ऐसा कर न केवल अपनी, वो तो दूसरों की नज़रो में भी उठ जायेगा।
घर-बार का मेला तो बस, यही इस दुनियाँ में रह जायेगा।
गलत राह की दिशा में चल कर,
इस दुनियाँ में कोई खुश नहीं रह पायेगा।

अपार ख़ुशी को पाने में,अपार दुख भी झेलना पड़ता है।
जीवन की ठोकरे खाकर ही, हर मानव जीवन में आगे बढ़ता है।
कठनाईयो को भी सहेजता से स्वीकार करो,
गलत सोच की राह में, बेफिक्र होकर तुम बस आगे न बड़ो।

धन्यवाद

Exit mobile version