उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दलित महासभा 14 अप्रैल के दिन मतलब अंबेडकर जयंती के मौके पर एक समारोह में दलित मित्र अवार्ड से सम्मानित करेगी. अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल के इस फैसले पर दो वरिष्ठ सदस्य हरिश्चंद्र और एसआर दारापुरी बेहद नाराज नजर आए हैं. अध्यक्ष निर्मल के इस फैसले के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए उन्होंने एक एनुअल जनरल मीटिंग भी बुलाई है हरीश चंद्र और दारापुरी का कहना है कि निर्मल ने अपनी सीमाओं को लांघा है यह जरा भी उचित नहीं है.
योगी सरकार के हर दफ्तर में लगेगी बाबा साहेब की तस्वीर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2 अप्रैल को SC/ST एक्ट में बदलाव किए जाने के बाद भारत बंद दलित आंदोलन में उग्र कार्यवाही भी हुई जिसके चलते उत्तर प्रदेश में भी दो लोगों की मौत हुई. और कई अन्य लोग घायल हुए जिस पर विपक्ष लगातार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहा है तो वहीं इन सभी आरोपों के बीच अपनी छवि सुधारने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने हर सरकारी दफ्तर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाने के आदेश भी दिए हैं.
निर्मल की नजर यूपी विधानसभा परिषद टिकट पर
इस मामले में हरिश्चंद्र का कहना है कि महासभा का गठन अंबेडकर के विचारों को जनता तक पहुंचाने के लिए किया गया था ना कि उसे अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल करने के लिए. निर्मल के इस फैसले पर हरिश्चंद्र ने विरोध जताते हुए कहा है कि निर्मल कि नगर यूपी विधानसभा परिषद में बीजेपी की टिकट पर है.
योगी हैं दलितों के मित्र
निर्मल ने हरिशचंद के द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि सीएम योगी को दलित मित्र अवार्ड देने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में रहने वाले सभी लोगों के मित्र हैं और वह अपने काम को अच्छी तरह से कर रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने दलितों के लिए भी अच्छे कार्यों के प्रयास किए हैं और वह दलितों के मित्र भी हैं.