अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार।

Ajit_Doval

 अजीत डोभाल :  भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता जीएन डोभाल भारतीय सेना में एक अधिकारी थे।डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर राजस्थान में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल में हुई उसके बाद उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से 1967 इकोनॉमिक्स में मास्टर्स किया।1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे। 75 वर्ष के हो चुके अजीत डोभाल के 2 बेटे है।

भारत के 5वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

अजीत कुमार डोभाल आईपीएस (सेवानिवृत्त) भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है| वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं,डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, वे आईबी समेत कई महत्वपूर्ण विभागों के मुखिया भी रहे हैं, वह  सक्रिय रूप से मिजोरम पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे।अजीत डोभाल 2005 में आईबी के पद से रिटायर हुए थे। भारत सरकार ने उन्हें  कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। इससे पहले शिवशंकर मैनन भारत के राष्ट्रीय सलाहकार थे| राष्ट्रीय सुरक्षा परामर्शदाता राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के मुख्य अधिकारी एवं भारत के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के प्राथमिक परामर्शदाता होते हैं।

पाकिस्तान में 7 साल भारत की अंडर कवर जासूस रह चुके हैं डोभाल किए हैं कई बड़े कारनामे

डोभाल 7 सालों तक पाकिस्तान में भारत के अंडरकवर जासूस रहे। पाकिस्तान में रहते हुए भी उन्होंने एक मुसलमान व्यक्ति के रूप में खुद को ढाला, और कभी भी किसी को यह भनक नहीं होने दी कि वे एक हिंदू हैं।  लेकिन  एक  बार ऐसी  स्थिति आई जब पाकिस्तान में उनकी पोल खुल गई, उन्होंने बताया कि वे लाहौर के एक मुस्लिम इलाके में एक मुसलमान के रूप में रहा करते थे| लाहौर में ही एक बहुत बड़ी औलिया की मजार है, जहां से बहुत लोग आया जाया करते हैं एक बार वे वहां से गुजर रहे थे.

इसी दौरान उन्हें एक बहुत ही आकर्षक व्यक्ति ने बुलाया उसकी बहुत लंबी और सफेद दाढ़ी थी, जो देखने में मुसलमान लगता था डोभाल के मुताबिक भी उसके पास गए उसने कहा कि तुम हिंदू हो डोभाल ने कहा नहीं मैं मुसलमान हूं,उसने कहा तुम झूठ बोल रहे हो तुम हिंदू हैं, डोभाल ने फिर इंकार कर दिया उसने कहा मैं जानता हूं कि तुम हिंदू हो क्योंकि तुम्हारे कान छिदे हुए हैं इस पर डोभाल ने कहा कि मैंने बाद में धर्म परिवर्तन कर लिया उस व्यक्ति ने कहा नहीं तुमने बाद में धर्म में परिवर्तन नहीं किया है, उसके बताया कि मैंने इतनी सूक्षम बातें कैसे जाने क्योंकि मैं भी हिंदू हूं,उसने डोभाल को सलाह दी कि वह प्लास्टिक सर्जरी करा ले नहीं तो यहां दिक्कत हो जाएगी डोभाल ने बाद में सर्जरी करा ली। हालांकि आज भी हल्का सा छेद दिखता है । डोभाल ने अपने जीवन में कई बड़े कारनामे किए हैं,जिनसे पाकिस्तान के कई नापाक मंसूबे नाकाम हो चुके हैं, एनएसए रहते हुए भी डोभाल ने पाकिस्तान को कई बार गहरी चोट पहुंचाई है।

ऑपरेशन ब्लू स्टार में भी डोभाल ने निभाई थी अहम भूमिका

 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार में भी डोभाल ने बड़ी भूमिका निभाई थी, वह एक रिक्शा चालक बनकर मंदिर के अंदर दाखिल हुए थे, और कई खुफिया जानकारी जुटाई थी| उनके द्वारा दी गई जानकारी की सहायता से ही भारतीय सेना को ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली थी| इसके अलावा उन्होंने साल 2015 में मणिपुर में भारतीय सेना पर हुए हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों को खत्म करने के लिए किए गए ऑपरेशन में भी मुख्य भूमिका निभाई थी। ।

1972 में रॉ से जुड़े डोभाल

1972 में खुफिया एजेंसी रॉ से डोभाल जुड़ गए थे,उन्होंने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडरकवर एजेंट के रूप में भी काम किया।

कंधार विमान अपहरण के दौरान तालिबान से बातचीत

1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण हुआ था। इसे बाद में कंधार ले जाया गया था, उस समय अजीत डोभाल ने तालिबान के साथ बातचीत में काफी अहम भूमिका अदा की थी, रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत के अनुसार उस दौरान कंधार से डोभाल लगातार उनके संपर्क में थे। डोभाल ने ही हाईजैकर्स को यात्रियों को छोड़ने के लिए राजी किया था। डोभाल ने खुफिया और आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी एकत्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी निभाई उनके निशाने पर माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम जैसे बड़े आतंकी नाम थे। डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड के नाम से भी जाना जाता है।

  • अजीत डोभाल  ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमनियाई राजनयिक लिविउ राड को बचाने की सफल योजना बनाई थी ।
  • 80 के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे ,उस समय ललडेगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी। लेकिन तब डोभाल ने ललडेगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था। कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांति विराम का विकल्प अपना पड़ा था ।
  • कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था, और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी| उन्होंने एक प्रमुख भारत विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था  ।
  • डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारी भी संभाली और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा को लीड किया |

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