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एम्स के डॉक्टरों की पीएम मोदी को चिट्ठी, हमारी तकलीफ समझने के लिए एक दिन के लिए हमारा एप्रेन पहने

एम्स के डॉक्टरों ने भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए अपना दर्द बयां किया और प्रधानमंत्री से कहा कि 1 दिन के लिए हमारी जिंदगी जियें तब जाकर उन्हें हमारी हालत का अंदाजा पड़ेगा. राजस्थान में उच्च वेतन और पदोन्नति के लिए मांग कर रहे डॉक्टर्स का समर्थन करते हुए एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने माननीय नरेंद्र मोदी को अपना तनाव समझाने के लिए 1 दिन के लिए उनकी जिंदगी जीने के लिए कहा.Aiims Delhiआपकी जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार को एम्स रेजिडेंस डॉक्टर एसोसिएशन  ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सरकारी अस्पतालों के बेबुनियादी ढांचों की शक्ल दिखाएं साथ ही इमरजेंसी हालात में पेशेंट के रिश्तेदारों द्वारा किए जानेवाले दुर्व्यवहार की भी स्थिति को बयां करते हुए उनके ऊपर जबरदस्त जवाब को समझने का आग्रह किया.

AIIMS आरडीए के अध्यक्ष हरजीत सिंह भाटी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में कहा “‘हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास आप जैसा सक्रिय प्रधानमंत्री है… अब आरडीए एम्स आपसे अनुरोध करता है कि आप सफेद एप्रेन पहनें और सरकारी डॉक्टर की तरह एक दिन बिताएं ताकि आप हम पर जबर्दस्त दबाव, इलाज नहीं मिलने से मरीजों के गुस्से और संसाधन तथा बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था को समझ सकें.’ उन्होंने कहा कि यह उन मंत्रियों के लिए भी एक मिसाल पेश करेगा जो डॉक्टरों पर घटिया प्रचार का आरोप लगाते हैं.

इतना ही नहीं पत्र में यह भी कहा गया कि अगर प्रधानमंत्री डॉक्टर के तौर पर एक दिन स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए निकालते हैं तो यह दिन स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगा और कहा गया कि उन्हें विश्वास है कि उनके 1 दिन के दौरे से चिकित्सा पैसे में विश्वास कायम होगा और प्रधानमंत्री भी हमारे दर्द से वाकिफ हो सकेंगे.

हड़ताल करना बताया गया एक मजबूरी

राजस्थान में गिरफ्तार हुए 86 डॉक्टरों का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि डॉक्टर्स की मांगों को पहले राजस्थान सरकार ने स्वीकार कर लिया था लेकिन फिर उन्हें पूरा करने से इंकार कर दिया जिस कारण  डॉक्टरों में अविश्वास और गुस्सा व्याप्त है इसी कारण हड़ताल की गई है यह कोई डॉक्टरों की इच्छा से नहीं हो रहा है अगर राज्य सरकार अपने किए गए वादों पर टीकी रहती तो शायद हड़ताल करने की नौबत ही नहीं आती. पत्र में राजस्थान सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की मांग करते हुए डॉक्टरों पर हो रहे जुल्मों को रोकने की मांग भी की गई है.

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