फिर भी

एक दृश्य – खंडित भारत 

ek drasya poetry incredible India

माना भारत के कर दें टुकड़े चार,
तो क्या बँट जाएगा भारत माता का प्यार.

हो जाएं कितने भी बच्चे, माँ प्यार सभी को देती है
जैसे छोटी सी चिड़िया जीवन भर, अपने अंडो को सेती है.

माँ का तो है ह्रदय विशाल, सारे दुःख वह सह जाएगी
पर भाई- भाई के मन में, एक खाई सी रह जाएगी.

एक भाग मुस्लिम का होगा, एक भाग हरिजन का होगा
टुकड़ो में भी बांटकर शायद, कायाकल्प जीवन का होगा.

पिछड़ों की अपनी धरती होगी, सवर्णों का कोना होगा
सुखमय सारा जीवन होगा, सुखमय सपन- सलोना होगा.

ना होगी फिर जात- पांत, ना ही फिर आरक्षण होगा
मिल जाएगी सबको संतुष्टि, ना अधिकारों का भक्षण होगा.

ना होगा कोई विपक्ष, ना ही कोई गंठबंधन होगा
मांगे अपनी मनवाने को, फिर ना कोई अनशन होगा.

शायद खुशहाली आ जाए भारत, तेरे टुकड़े करने पर
जैसे खुशहाली आती है गिद्धों में, किसी सियार के मरने पर.

पर यह भूख अमिट है लोगो, बस बढ़ती ही जाएगी
एक टुकड़ा बस मिला नहीं, दूजे टुकड़े को ललचाएगी .

समय का पहिया फिर बदलेगा, फिर टुकड़ो के लिए लड़ाई होगी
छोटे- छोटे टुकड़ो में बस, एक गहरी सी खाई होगी.

भाई- भाई के लहू से, यह खाई ना भर पाएगी
अपने बेटों की बलि देखकर, भारत माता मर जाएगी.

फिर न भारत माता होगी, फिर ना भारत महान रहेगा
फिर दुनिया के नक़्शे में, भारत के बदले शमशान रहेगा.

फिर किस पर तुम गर्व करोगे, किसको शान दिखाओगे
विश्व पटल पे फिर कैसे तुम, भारत महान कहलाओगे
विश्व पटल पे फिर कैसे तुम, भारत महान कहलाओगे .

 

विशेष:- ये पोस्ट इंटर्न वरुण शर्मा ने शेयर की है जिन्होंने Phirbhi.in पर “फिरभी लिख लो प्रतियोगिता” में हिस्सा लिया है, अगर आपके पास भी है कोई स्टोरी तो इस मेल आईडी पर भेजे: phirbhistory@gmail.com

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