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भारतीय पुरातत्व, संस्कृति की झलक दिखाई देगी महंत घासीदास संग्रहालय में

रायपुर : राजधानी स्थित महंत घासीदास संग्रहालय में “प्राचीन अभिलेख, पुरालिपि, मुद्राशास्त्र एवं प्रतिमाशास्त्र’’ विषय पर केन्द्रित तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 8 मार्च से 10 मार्च तक किया जा रहा है । यह कार्यशाला संग्रहालय परिसर स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में 8 मार्च को सवेरे 11 बजे से शुरू होगी । कार्यशाला में प्रतिदिन अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे । कार्यशाला में ‘‘प्राचीन अभिलेख एवं पुरालिपि, मुद्राशास्त्र एवं प्रतिमाशास्त्र’ के संबंध में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की जानकारी दी जाएगी ।

कार्यशाला के पहले दिन 8 मार्च को प्राचीन अभिलेख एवं पुरालिपि पर डॉ. टी.एस. रविशंकर, पूर्व निदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (अभिलेख शाखा) लखनऊ का व्याख्यान होगा । कार्यशाला के दूसरे दिन 9 मार्च को मुद्राशास्त्र पर प्रो. लक्ष्मीशंकर निगम, पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, प्रोफेसर चंद्रशेखर गुप्त, पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व, नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर एवं डॉ. जी.एस.ख्वाजा, पूर्व निदेशक (अभिलेख शाखा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नागपुर का व्याख्यान होगा ।

इसी प्रकार कार्यशाला के अंतिम दिन शनिवार 10 मार्च को प्रतिमाशास्त्र पर देश के प्रसिद्ध कला समीक्षक प्रोफेसर ए.एल. श्रीवास्तव भिलाई, डॉ. वेदप्रकाश नगायच, पूर्व उप संचालक, मध्यप्रदेश पुरातत्व एवं संग्रहालय भोपाल और प्रोफेसर आर.एन. विश्वकर्मा, पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का व्याख्यान होगा । प्रतिदिन व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तरी एवं परिचर्चा होगी जिसमें विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे ।

इस कार्यशाला में रायपुर स्थित कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के इतिहास एवं पुरातत्व विषय के अध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी, जिलों में कार्यरत जिला पुरातत्व संघ के सदस्य एवं जिला पुरातत्व संग्रहालयों के अधिकारी-कर्मचारी भाग लेंगे । इस अवसर पर भिलाई के मुद्रा संग्राहक आशीष दास द्वारा प्रदर्शनी लगाई जाएगी । इतिहास एवं पुरातत्व में रूचि रखने वाले व्यक्तियों से कार्यशाला में शामिल होने की आशा की जा रही है, यह क्षेत्र में अपने तरह का अनोखा कार्यक्रम है ।

[स्रोत- घनश्याम जी.बैरागी]

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