प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को अपनी भावनाएँ व्यक्त करने की प्रेरणा दे रही है। वह कहती है कि जो भी इंसान लिखने में रूचि रखते है उन्हें अपनी भावनाएँ केवल डाइरी में नहीं रखनी चाहिये। सबका अपना-अपना अलग जीने का तरीका होता है सबके अपने अलग विचार, सबको अपने विचार रखने चाहिये, फिर जिसे उन विचारों से कुछ सीखना है तो वह सीख लेगा। ये ज़रूरी नहीं है कि हमारे विचार सबसे मिले, अपने अनुभव की कहानी सबको सुनाओ जिसकी कहानी तुम जैसी होगी तुम्हारे विचार उनसे ज़रूर मिलेंगे फिर वह तुम्हारी कहानी सुनेंगे भी और अपने जैसे लोगो को बतायेंगे भी।
क्या पता एक दिन ऐसा आये कि तुम्हारी कहानी सबके लिए प्रेरणा बन जाये। जैसे हाथ की पाँचो ऊंगलियां बराबर नहीं होती वैसे ही हर इंसान एक सा नहीं होता। तो क्यों न अच्छाई की तरफ पहला कदम तुम बढ़ाओ, अपने को कर पहले ठीक तुम दूसरों को भी राह दिखाओ।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
अपने जज़्बातों को कभी, डायरी में छोड़ कर मत जाना।
अपने अनुभव के ज्ञान से तुम दूसरों को भी जगाना।
क्या पता कोई तुम्हारी भावनायें समझ जाये,
तुम्हें सहारा दे, फिर वो तुम्हारे ही गुण गाये।
[ये भी पढ़ें : क्यों नही मैं ‘पा‘ जैसी]
अपने जज़्बातों को कभी, डायरी में छोड़ कर मत जाना।
अपने मन की बात तुम इस दुनियाँ तक ज़रूर पहुँचाना।
क्या पता तुम्हारी लिखी बातें किसी के दिल को छू जाये,
उदास मन की अँखियों से भी, ख़ुशी के आँसू छलक आये।
अपने जज़्बातों को कभी, डायरी में छोड़ कर मत जाना।
अपनी मन की बातें तुम हर एक से नहीं छुपाना,
क्या पता तुम्हारे अनुभव की, कहाँनी बन जाये।
जिसे देख दुखी इंसान को भी अपने जीवन से प्यार हो जाये।
[ये भी पढ़ें : मेहनत की अग्नि में]
अपने जज़्बातों को कभी, डायरी में छोड़ कर मत जाना।
दूसरे की कही बातों को कभी दिल से न लगाना।
क्या पता तुम्हारी रचनाये पढ़, दूसरे को भी अपनी गलती का एहसास हो जाये,
उस गलती को भूल, तुम्हारा दुश्मन भी तुम्हारा दिवाना हो जाये।



















































