हैवानियत जब हद को पार करती है तो सारी इंसानियत को तार-तार कर जाती है ऐसा मैं खुद अपनी मर्जी से नहीं लिख रहा हूं, कुछ वाक्य है जो दिमाग में घूमते रहते हैं, कुछ किस्से हैं जो दिल से निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं, कुछ चीखे हैं जो कानों में गूंज रही हैं और कुछ सिसकिया है जो सोने नहीं दे रही.
दुनिया में सबसे बुरी स्थिति क्या है? क्या आपको मालूम है? मुझे मालूम है. दुनिया में सबसे बुरी स्थिति एक बेबसी है. जब आप चाहते हो फिर भी कुछ कर नहीं पाते. ऐसी ही एक घटना महाभारत की है जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था और वहां बैठे बड़े-बड़े शूरवीर बेबस थे. बेबस थे अपने राज्य को दिए हुए वचन के आगे, बेबस थे अपने राजा के आगे, बेबस थे और बस बेबस थे.
किस्सा केवल महाभारत में खत्म नहीं हो जाता वह आज तक ऐसा ही चल रहा हैं. उस दिन तो भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचा ली थी मगर आज भगवान श्रीकृष्ण भी द्रोपदी की लाज बचाने में नाकाम हो रहे हैं. नाकाम हो रहे हैं इस लाचार कानून के आगे. लाचार हो रहे हैं उन दरिंदों के आगे जिनकी संख्या भगवान कृष्ण से ज्यादा हो गई है. थक गए हैं भगवान श्रीकृष्ण भी इस दुनिया में चक्कर लगा लगाकर. एक द्रोपदी की लाज बचाने आते हैं तो उधर दूसरी की लाज उतर चुकी होती है.
अभी पटना के नौबतपुर इलाके में एक 22 वर्षीय युवक ने 35 वर्षीय महिला पर बलात्कार की कोशिश की, जब वह बलात्कार करने में नाकाम रहा तो उसने उस महिला के गुप्तांगों में लोहे की सरिया घुसा दी. जिस कारण उस महिला की मौत हो चुकी है.
Naubatpur,Patna: 35-yr-old woman dead after 22-yr-old man inserted an iron rod in her private parts following failed rape attempt,last night
— ANI (@ANI) October 13, 2017
अब उस 22 वर्षीय (शूरवीर) पर हमारे देश का कानून एक मुकदमा चलाएगा उस मुकदमे के अंतर्गत उस को कुछ साल या उम्रकैद की सजा सुनाई जाएगी. अगर उस युवक की आर्थिक स्थिति सही हैं तो वह व्यक्ति कुछ साल बाद रिहा भी कर दिया जाएगा. इस देश के उच्च कोटि के कानून ने देश के ऐसे शूरवीरों के हौसले बुलंद कर रखे हैं जिनके कारण आये दिन देश में ऐसी घटनाएं सामने होती रहती हैं.
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ना केवल यह नौबतपुर का ही मामला है. दिल्ली में हुए निर्भया मामले को आप सभी जानते हैं. अभी 7 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर में एक महिला से उसके बच्चे और पति के सामने बंदूक की नोक पर रेप किया गया. इतना ही नहीं दिल्ली की 28 वर्षीय युवती के साथ बीकानेर में 23 युवकों ने बलात्कार किया और ना जाने ऐसे कितने अनगिनत मामले हैं जिनको गिनाने में शायद मैं नाकाम रहूंगा.
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ऐसा नहीं है कि बस केवल आम जनता ही इस प्रकार की घटनाओं में शामिल है हमारे देश के कई ऐसे बड़े-बड़े नेता भी हैं जिन पर आज तक ऐसे मामले चल रहे हैं मगर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है. कार्यवाही हुई भी है तो बस मुकदमे के रूप में जो आजीवन चलता भी रहेगा मगर उसका फैसला नहीं आएगा.
नेता या किसी बड़े आदमी को जब कोर्ट सजा का फैसला सुनाती है तो हमारे देश की जनता इतनी महान है कि उस फैसले का इस कदर विरोध किया जाता है कि पंचकूला में 22 लोग मार दिए जाते हैं. पंचकूला में इस कदर बवाल काटना किस प्रकार की इंसानियत है अगर किसी दोषी को सजा मिल रही है तो क्या यह गलत है?
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मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं दंगे करने वाले उन लोगों से, क्या कभी तुम्हारी बहन, बेटी या बीवी के साथ ऐसा केस हुआ है? नहीं हुआ है अगर हुआ होता तो आपके द्वारा उस फैसले का विरोध नहीं हुआ होता. अगर आपके घर में ऐसा कुछ मामला हुआ होता तो वहां पर ईंट पत्थर नहीं फेंके जाते और ना ही गाड़ियों में आग लगाई जाती है.
किसी ने सच ही कहा है कि जब तक इंसान के ऊपर स्थितियां गुजरती नहीं है तब तक उसे मालूम नहीं होता कि मैं क्या कर रहा हूं, नहीं मालूम होता कि मैं किसके लिए लड़ रहा हूं, मैं किसको बचा रहा हूं और क्यों बचा रहा हूं
नौबतपुर वाले मामले में युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ FIR भी दर्ज हो चुकी है बस बाकी है उसे बैठा कर उसकी मेहमान नवाजी करना, बाकी है उसको ताउम्र सरकारी रोटियां खिलाना, बाकी है ऐसी घटनाओं को और बढ़ावा देना, बाकी है श्रीकृष्ण को दोष देना, बाकी है मोमबत्तियां जलाना, बाकी है, बाकी है, बाकी है जो शायद बाकी ही रहेगा.