अधिकतर लोगों की मानसिकता यह होती है कि पुरुष बहुत कठोर होते हैं वह रोते नहीं है या उनके अंदर भावनाएं नहीं होती इसीलिए वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों को आसानी से झेल जाते हैं लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद कहीं ना कहीं आप की सोच अवश्य बदलेगी।।
जब पति पत्नी का तलाक होता है तो अधिकतर केस में पति को गलत ठहराया जाता है और लोगों की संवेदना पत्नी के साथ होती हैं माना जाता है कि तलाक का प्रभाव पत्नी के लिए सबसे अधिक तकलीफ देय होता है परंतु यह सच नहीं है पत्नी के ऊपर जितना तलाक का असर होता है उससे कहीं ज्यादा पति के ऊपर होता है।। पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते कई बार अंदर ही अंदर तलाक का दर्द पुरुष को अवसाद में पहुंचा देता है ।।
तलाक के बाद पुरुष अपने घरवालों, दोस्तों व सगे-संबंधियों की नजर में गलत हो जाते हैं और वही लोग जो अब तक उसके साथ हंसते, खेलते, मौज मस्ती करते थे तलाक के बाद घूरती उनकी निगाहें मन ही मन उसे अपराधी बना देती हैं। यह बात सच है कि एक पत्नी अपने पति से बहुत प्रेम करती है और भावनात्मक रुप से उससे काफी अटैच हो जाती है और तलाक के बाद वही भावनात्मक जुड़ाव उसके लिए अधिक तकलीफ देय हो जाता है लेकिन यह भी सच है कि पुरुष भी अपनी पत्नी से भावनात्मक रुप से जुड़े हुए होते हैं और अलग होने पर उन भावनाओं या चाहत को दूर नहीं कर पाते।।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि तलाक पुरुषों को भावनात्मक रूप से अस्थिर बना देता है और यह अस्थिरता अवसाद का रुप ले लेती है जो कई बार आत्महत्या करने की स्थिति में पहुंचा देती है।। यह बात सच है कि पुरुष महिलाओं की अपेक्षा शारीरिक रूप से अधिक मजबूत होते हैं परंतु मानसिक रुप से महिलाओं से कई गुना कमजोर होते हैं केवल लोगों को दिखाने के लिए पुरुष कठोर बनने का दिखावा करते हैं पुरूषों को लोगों के सवाल इस कदर घेर लेते हैं कि वह अंदर ही अंदर टूट जाते हैं।।
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महिलाएं अपनी तकलीफ को किसी से छुपा नहीं पाती और माता-पिता या अपने साथियों के साथ अपने दर्द को बांट लेती हैंं जिससे उनका मन हल्का हो जाता है परंतु पुरुष अपनी तकलीफ को किसी से नहीं कह पाते पुरुषों की वही चुप्पी अवसाद और मानसिक बिखराव को जन्म देती है, अधिकतर पुरुष शादी के बाद पत्नी पर पूरी तरह से निर्भर हो जाते हैं जब पत्नी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखकर पति की मदद करती है तो उसी सपोर्ट की आदत पुरूषों को हो जाती है और पत्नी के अलग हो जाने के बाद उनकी जिंदगी में बिखराव उत्पन्न हो जाता है जिसे वह आसानी से समेट नहीं पाते, कई केस में जब बच्चे की कस्टडी पिता को मिलती है तो बच्चों की देखभाल और उनकी सुरक्षा पुरुष के लिए एक चुनौती बन जाती है ऐसे में ना तो वह अपने काम पर फोकस कर पाता है ना अपनी जिंदगी पर नहीं बच्चों का ठीक से ख्याल रख पाता है ऐसे में पुरुषों की जिंदगी में एक बिखराव पैदा हो जाता है जिससे निकलने के लिए वह नशा या ऐसी दवाइयों का सेवन करना शुरु कर देता है जो कुछ देर के लिए उसके मन को शांत कर सके, धीरे-धीरे उन्हें नशा की आदत होती चली जाती है और यही आदत अंत में पुरुष को मानसिक रोगी बना देती है।