म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने रोहिंग्या मुसलमान मामले पर अपना बयान देते हुए कहा है कि हम नहीं चाहते कि मैं म्यांमार एक धार्मिक जातियों द्वारा विभाजित राष्ट्र बने. हम पूरे देश के बारे में सोचना चाहते हैं ना कि एक छोटे से पीड़ित क्षेत्र के बारे में. साथ ही उन्होंने रोहिंग्या मामले को लेकर हो रही आलोचना पर अपना तीखा बयान देते हुए कहा है कि रोहिंग्या म्यांमार में आतंकी हमलों में शामिल है.
सान सू ने यह भी कहा कि 25 और 30 अगस्त को पुलिस चौकी पर किए गए हमलों के बाद उन्हें आतंकवादी समूह से जोड़ा गया. हमने रोहिंग्या मुसलमान लोगों को अपने देश में संरक्षण दिया और जिसका नतीजा बहुत गलत निकला उन्हीं लोगों ने हम पर हमले किए, हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई और हमारी पीठ में छुरा घोंपा. मगर हम इन बातों को भी बुलाने को तैयार हैं जो भी म्यांमार में वापस आना चाहते हैं हम उन लोगों के लिए रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे.
On Aug 25, 30 police outposts were attacked; consequently govt declared Arakan Rohingya Salvation Army a terrorist group: Aung San Suu Kyi pic.twitter.com/lSpzp6AK8h
— ANI (@ANI) September 19, 2017
सान सू ने यह भी कहा है कि हम विकास और शांति की स्थापना के कार्यक्रम को भलीभांति जारी रखेंगे, जो म्यांमार में वापस आना चाहता है उनका स्वागत है मगर आतंकी गतिविधियों के साथ सख्ती से ही निपटेंगे और नस्ल या धर्म के नाम पर उपद्रव करने वाले आरोपियों को दंडित भी करेंगे.
Myanmar prepared to start a refugee verification process for those who wish to return: Aung San Suu Kyi
— ANI (@ANI) September 19, 2017
We don't want Myanmar to be a nation divided by religious beliefs or ethnicities. Hate and fear are main scourges : Aung San Suu Kyi pic.twitter.com/BhR58masdu
— ANI (@ANI) September 19, 2017
म्यांमार में रोहिंग्या की आबादी करीब 10 लाख है और करीब इतनी ही संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, पाकिस्तान, बग्लादेश और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में शरणार्थी के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं. पिछले 10 सालों में करीब 2 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार को छोड़कर बांग्लादेश, भारत और नेपाल के देशों में पनाह ली है। जिसमें करीब 40 हजार के करीब रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से पनाह लिए हुए हैं.