आज यानी 3 सितंबर से चीन के शियामेन शहर में ब्रिक्स सम्मेलन का आगाज होने जा रहा है। यह तीन दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन 3 सितंबर (मंगलवार) तक चलेगा। यह 9 वां ब्रिक्स सम्मेलन है। इस साल ब्रिक्स सम्मेलन की थीम- उज्जवल भविष्य के लिए मजबूत साझेदारी रखी गई है। इस सम्मेलन के तहत आर्थिक, राजनीति, और सुरक्षा मामलों में सहयोग बढ़ाने पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी।
क्या है ब्रिक्स
ब्रिक्स 5 उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है जो ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका से मिलकर बना है। ब्रिक्स का गठन 2001 में अर्थशास्त्री गोल्डमैन सैक द्वारा किया गया था। 2010 से पहले इस समूह में केवल चार देश थे- ब्राजील, रूस, भारत और चीन उस समय यह समूह ब्रिक कहलाता था। दिसंबर 2010 में भारत दक्षिण अफ्रीका को इस समूह में जोड़ा गया उसके बाद इस समूह का नाम ब्रिक्स पड़ा।
ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी कुल वैश्विक आबादी की 40% है तथा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है।
ब्रिक्स 2017 का एजेंडा
ब्रिक्स 2017 सम्मेलन की थीम है- बेहतर भविष्य के लिए मजबूत साझेदारी। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक, राजनीतिक तथा सुरक्षा मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना है तथा 2020 तक सभी ब्रिक्स सदस्यों से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए निश्चित कार्य योजना बनाने की उम्मीद की जाना है। ब्रिक्स देशों के राष्ट्र अध्यक्ष इस वर्ष मुक्त व्यापार क्षेत्र के एजेंडे पर भी चर्चा करेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन गए हैं। 70 दिनों के डोकलाम सीमा विवाद के बाद मोदी और चीनी प्रधानमंत्री चिनपिंग की यह पहली मुलाकात होगी इसीलिए यह दोनों राष्ट्र प्रमुखों की द्विपक्षीय वार्ता इस बैठक का आकर्षण रहेगी।
ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के बीच कुछ समय से ठहराव की स्थिति नजर नहीं आ रही है, भारत और चीन के संबंध कुछ समय से अच्छे नहीं है। ब्राजील रूस और दक्षिण अफ्रीका के मंदी से गुजरने के आसार है जिस कारण सदस्य देशों के बीच कई मुद्दों पर को लेकर असहमति और मनमुटाव चल रहा है। व्यक्तिगत आजादी और इंटरनेट निजता को लेकर भी इन देशों के विचार भिन्न हैं। रूस चीन और भारत की सुरक्षा को लेकर भी अपनी प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं।
इस वर्ष चीन में होने वाले 9वां ब्रिक्स सम्मेलन में अतिथि देशों के रूप में मिश्र, गिनी, मेक्सिको तजाकिस्तान और थाईलैंड को आमंत्रित किया गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ब्रिक्स समूह में नए देश भी जुड़ सकते हैं।