फिर भी

अच्छा कभी बुरा तो बुरा कभी अच्छा बन जाता है

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को बता रही है कि अच्छाई और बुराई दोनों ही हम सब के अंदर है। कभी अच्छा इंसान अपने हालातों से लड़ नहीं पाता और गलत रास्ते पर निकल पड़ता है तो कभी बुरा इंसान भी वक़्त पर अपनी गलतियों को सुधार कर सही रास्ते पर निकल पड़ता है। ऐसा इस दुनियाँ में कोई नहीं जिसमे केवल अच्छाई ही हो या केवल बुराई ही हो हर इंसान अच्छाई और बुराई दोनों के मिश्रण से बना है अब ये हर एक पर निर्भर करता है वो अपने अंदर की ही कौन सी आवाज़ सुने।Good Is Bad

दोस्तों याद रखना कभी किसी को गलत करता देख या अच्छा करता देख उसके प्रति गलत धारणा न बनाना क्योंकि हम सब इंसान है और गलती इंसान से ही होती है। अच्छे की अच्छाई की प्रशंसा करो और बुरे की गलतियों को माफ़ करो, क्या पता तुम्हारे ऐसा व्यवहार से वो भी सही रास्ते पर निकल जाये।अच्छे को अच्छा करते देख ये मत सोचो की वो अच्छा ही होगा उसमे कोई बुराई नहीं और बुरे को बुरा करते देख ये मत सोचो की ये तो सुधर ही नहीं सकता।

अब आप इस कविता का आनंद ले

अच्छा कभी बुरा तो बुरा कभी अच्छा बन जाता है।
अच्छे को करता देख बुरा, हर किसी के मन में ये ख्याल आता है।
परिस्थितियों के बदलने पर, इंसान का रूप भी बदल जाता है।
हर हाल में थामे जो खुदको, वही इंसान महात्मा कहलाता है।
उस महात्मा को देख, सबका हौसला बढ़ जाता है।
संभाले जो न खुदको, ज़िन्दगी में ठोकरे बस वही खाता है।

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बुरे को करता देख अच्छा, सबको इस बात पर यकीन हो जाता है।
बुरे में भी छुपी है अच्छाई, बुरे को भी जब,
वक़्त पर अपनी गलती का एहसास हो जाता है।
अपनी नज़रो में ही नहीं, ऐसा कर वह तो ईश्वर की नज़रो में भी ऊचा हो जाता है।

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अच्छाई और बुराई दोनों ही हमारे अंदर होती है।
इन दोनों से मुलाकात अक्सर सबकी होती है।
बुरे की सुन के हर प्राणी की आँखे नम होती है।
अच्छे की सुन, प्राणी की अंतर आत्मा तक चैन से सोती है।

धन्यवाद

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