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गुलावठी नगर के लोग 12 सितम्बर को क्यों मानते हैं शहीदी दिवस

बुलंदशहर: गुलावठी नगर के लिए 12 सितंबर का दिन एेतिहासिक दिन है और नगर वासी 12 सितंबर को बड़े धूमधाम से शहीदी दिवस के रूप मे मनाते है. लेकिन क्या वजह हैं जो 12 सितम्बर को यहां के लोग शहीदी दिवस के रूप में मानते हैं और कौन यहां शहीद हुआ, आइये जानते हैं.aandolan

देश मे जब आज़ादी के लिए आन्दोलन चल रहा था तब 12 सितंबर 1930 को नगर के प्राचीन बड़ा महादेव मन्दिर के परिसर मे अंग्रेज़ी सरकर के ख़िलाफ़ एक सभा का आयोजन किया गया. सभा को सफल ना होने के नगर मे तैनात दरोग़ा ने सभा में उपस्थित लोगों पर घोड़ा चढ़ा दिया जिससे सभा में उपस्थित कई लोग घायल हो गए.

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सभा में उपस्थित भटोना निवासी भगवान सिहं ने दरोग़ा के सिर पर लाठी से प्रहार कर दिया जिससे दरोग़ा की मौत हो गई और अन्य पुलिसकर्मी मौक से भाग गए. इस पर गुस्से से आगबबूला होकर अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस ने सभा से वापस आते हुए लोगों पर गोलीबारी कर दी, जिसमें भगवान सिंह समेत 9 लोगों की मौत हो गई.

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12 सितंबर को नगर मे शहीद हुए लोगों की याद शहीदी दिवस मनाया जाता है और भगवान सिंह एक बहादुर इंसान थे इसलिए अपने देश और अपने साथियों पर हो रहे अत्याचार को बर्दाश्त नहीं कर सके और दरोग़ा के सिर पर लाठी से प्रहार कर दिया था उनका यह बलिदान ने गुलावठी नगर के लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और अब तक उनके बलिदान को बड़े फक्र से याद किया जाता हैं.

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