प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री समाज को यह समझाना चाह रही है कि अनहोनी जैसी कोई चीज़ इस दुनियाँ में नहीं होती क्योंकि हर इंसान जो बोता है वह बस उसी का परिणाम भोगता हैं। अच्छे रास्ते पर चलना इतना असान नहीं होता सबको लगता है सब अपनी जगह ठीक है पर क्या आप जानते है कर्म कैसे बनते है??
कर्म केवल काम करने से ही नहीं बल्कि अच्छा सोचने से भी बनते है। अपनों के लिए अच्छा सोचना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन दूसरों के लिए भी अच्छा सोचना ,जिसने कभी हमारा दिल दुखाया उसके लिए भी अच्छा सोचने से हमारे कर्म बहुत अच्छे होते हैं। अपना हर कर्म हमे ईश्वर को समर्पित करना चाहिये जैसे की अगर हम किचन में काम कर रहे होतो ऐसे खाना पकाओ जैसे ईश्वर के लिए पका रहे हो, ऑफिस में काम करो तो ऐसे करो जैसे ईश्वर का दिया काम कर रहे हो।
हम सब के पास २४ घंटे होते है सोचो अगर हम हर क्षण बस अच्छा सोचे तो जीवन कितना आनंदमय लगेगा। याद रहे सोचने के किसीको पैसे नहीं देने पड़ते तो क्यों न अच्छी सोच से हम एक अच्छी दुनियाँ बनाये। अपने प्रोफेशन वही चुने जिसमे आपको आनंद आये. जिससे आप संतुष्ट हो, वरना अच्छा विचार करना मुश्किल होता है।
अब आप इस कविता का आनंद ले।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
गलत दिशा में चलने वालो की,
किस्मत ही ऐसी होती है।
जिसके रहते मानव की चिंताये,
उग्र होती है।
गलत सोच की छाया में,
‘सुख शांति की बली होती हैं।
पलके उस आँचल की छाओ में,
बाद में तू क्यों रोती हैं।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
महसूस करो हर वक़्त के विचारों को,
गलती अपने अंदर ही होती है।
जिसके कारण मानव की सुध-बुध भी खोती है।
ऐसे मनुष्य की दिशा पर उसकी किस्मत भी रोती है।
अच्छे विचारों की दुनियाँ में ही मिलता सच्चा मोती है।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
होती तो होनी हैं,
अनहोनी कहाँ होती है।
कृपा कर आप ये कविता बहुत लोगो तक पहुँचाये जिससे बहुत लोग सही ज्ञान तक पहुँचे। हमारी सोच ही सब कुछ है हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है।