यह तो हम सभी जानते हैं कि दिनों-दिन इंटरनेट यूजर्स के साथ-साथ मोबाइल यूजर्स की भी संख्या बढ़ती जा रही है मगर क्या आपको मालूम है इन मोबाइल यूजर्स के साथ-साथ प्लेस्टोर पर फेक ऐप्प की संख्या भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है जिसके चलते Google ने अपने ऑफिशियली ब्लॉक पर जानकारी शेयर करते हुए बताया है कि गूगल प्लेस्टोर से हटाई गई ऐप्प की संख्या वर्ष 2016 के मुकाबले 70% ज्यादा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सारी एप्लीकेशन Play Store की प्राइवेसी पॉलिसी को पूर्ण नहीं कर पा रही थी जिसके चलते Google ने एप्लीकेशन के साथ-साथ एक लाख से ज्यादा डेवलपर्स को भी प्ले स्टोर से हटा दिया है जो कि अश्लील और मैलवेयर जैसे ऐप्प अपलोड करते थे और ऐसी ऐप्प Google की पॉलिसी के सख्त खिलाफ हैं जो यूजर प्राइवेसी के लिए भी खतरा साबित होती है.
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वैसे आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि Google पहले भी बता चुका है कि कंपनी ने Google Play Store पर खराब ऐप्स को स्कैन करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करती है और साथ ही मैलवेयर डिटेक्ट करने के लिए भी कंपनी ने स्ट्रेटेजी बनाई है.
गौरतलब यह है कि पिछले साल ही Google ने ‘गूगल प्ले प्रोटेक्ट’ लॉन्च किया और Google के मुताबिक अब तक यह 2 अरब डिवाइसों से ज्यादा डिवाइस में गूगल प्ले प्रोटेक्ट है जो ऐप में छिपे मैलवेयर को स्कैन करने का काम भली-भांति करता है.
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इस स्थिति में सबसे ज्यादा सवाल ही पैदा होता है कि वह कौन सी एप्लीकेशन है जो सबसे ज्यादा हानिकारक होती है तो इसके लिए हम बता दें कि Android डेवलपर्स ब्लॉग में एक जानकारी शेयर करते हुए Google ने इम्पर्सोनेशन या कॉपी केट्स को गूगल प्ले स्टोर पर सबसे खतरनाक ऐप्स माना है. ये ऐप दिखने में किसी असली ऐप जैसे लगते हैं और यूजर उसे असली समझ कर धोखे से डाउनलोड कर लेते हैं.