फिर भी

विश्वास में टूट न जाये, विश्वास की डोर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री दुनियाँ को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि जीवन में चाहे कितने भी उतार चढ़ाव क्यों न आये बस कभी अपना हौसला न खोना। कवियत्री सोचती है ये तो हम सबको पता है हर रोज़ रात के अँधेरे के बाद नई सुबह आती ही आती है फिर क्यों जीवन का ये सच हम अक्सर भूल जाते है कि दुख के बाद सुख और सुख के बाद दुख आता ही आता है। हमे कभी सुखो की इतनी आदत ही नहीं डालनी चाहिये की दुख का अँधेरा हमे अंदर से इतना तोड़ दे कि हम जीवन के प्रति सारी उम्मीदे ही खो दे।trustअपने विश्वास को कायम रखना ये सब के बस की बात नहीं क्योंकि कहने और करने में बहुत ही अंतर होता है.अंत में कवियत्री बता रही है कि रोशनी ने हमसे वादा करा है की वो कल फिर से हमारे जीवन में आयेंगी बस उसके आने से पहले टूट न जाना। याद रखना दोस्तों हम सबके जीवन में अँधेरे का समां आता है बस उस वक़्त भी अपने विश्वास को टूटने मत देना।

अब आप इस कविता का आनंद ले।

विश्वास में टूट न जाये, विश्वास की डोर,
घोर अँधेरे के बाद आती है शीतल सी भोर,
पर क्या वो शीतल पूरे दिन हमारे साथ रहती है।
अपने जाने से पहले, जैसे वो बार-बार हमसे ये कहती है।
विश्वास रखना अपने विश्वास पर,
कल फिर एक नई उम्मीद के साथ आऊँगी।
उस शीतलता के साथ, तुम्हारे ढेर सवालो के जवाब भी लाऊंगी।
बस रात के उस अँधेरे को देख,
अपने विश्वास को न खोना।
मुझे जाते देख, मेरे विरह में न रोना।
क्योंकि रात के अँधेरे को फाड़,
मैं कल फिर से लौट आऊंगी।
तुमसे दूर तुम्हारे बिन मैं कैसे रह पाऊँगी।
कुछ पल की दूरी तो हम दोनों ही सहेंगे।
अपनी परिस्थिति की पीड़ा हम किसी से नहीं कहेंगे।
विश्वास रखेंगे एक दूसरे से मिलने का।
वक़्त तो एक फूल भी लेता है अपने खिलने का।

धन्यवाद।

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